मौसम सुंदर पावन है, इस सावन का अब क्या कहना।
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/d33fc8f6bab0c2b35eb85b365145bbe3_994ba124d291496da335049bfa04cf90_600.jpg)
मौसम सुंदर पावन है, इस सावन का अब क्या कहना।
छाय रही घनघोर घटा, बिन साजन दुस्कर है रहना।
नीर झरे दृग से सजना, मन ढ़ूंँढ रहा तन का गहना।
आन मिलों अनुराग करो, अलगाव नही अब है सहना।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’