Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2017 · 1 min read

मेरी बेटी

‘ मेरी बेटी ‘

पल में रुठ जाये ,पल में मान जाती है,
कभी संग तो कभी आगे निकल जाती है
कभी जीत जाये, कभी संग उसके जीत जाता हूँ
थोड़ी नादान, थोड़ी नासमझ,थोड़ी अल्हड़ वो, मेरी बेटी है !!

सूरज सा तेज , चाँद की शीतलता उसमे
शबनम सी कोमलता, चट्टान से इरादे उसके
ना करम पे, ना रहम पे, खुद पे यक़ीन है उसे
फूल – सी कोमल,ओस की नाजुक लगती वो, मेरी बेटी है !!

जिसके नन्ही क़दमो पे होते थे कभी कुर्बान
आज ज़माने में हो गई है उससे अपनी पहचान
चेहरे पर हर पल लिए, एक ताज़ी सुहानी मुस्कान
सोते भाग्य को आहट मात्र से जगाने वाली वो, मेरी बेटी है !!

सुना है सबसे, बेटी अपनी नहीं पराई होती है
मैं तो बस इतना जानू, माँ- बाप की जान होती है
कदम मात्र से ही जिसके दूसरे घर भी पावन हो जाये
दो कुलों की मर्यादा बखूबी निबाहने वाली वो, मेरी बेटी है !!

बढ़ रहे जिसके कदम आज डगर डगर है
उसके हर परचम पर जहां में सबकी नजर है
फिर क्यों ना कहे ‘अजय’, बेटो से आज आगे बेटी है
अपने मान-सम्मान के परचम लहराने वाली वो, मेरी बेटी है !!
—— अजय
( स्वरचित )

1495 Views

Books from Ajay Kumar

You may also like:
ग़ज़ल - इश्क़ है
ग़ज़ल - इश्क़ है
Mahendra Narayan
विचारधारा
विचारधारा
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अंधेरों रात और चांद का दीदार
अंधेरों रात और चांद का दीदार
Charu Mitra
शेर
शेर
Rajiv Vishal
राष्ट्रप्रेम
राष्ट्रप्रेम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Green and clean
Green and clean
Aditya Prakash
“ बुजुर्ग और कंप्युटर ”
“ बुजुर्ग और कंप्युटर ”
DrLakshman Jha Parimal
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
दर्द तन्हाई मुहब्बत जो भी हो भरपूर होना चाहिए।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मन की कसक
मन की कसक
पंछी प्रगति
रंगो का है महीना छुटकारा सर्दियों से।
रंगो का है महीना छुटकारा सर्दियों से।
सत्य कुमार प्रेमी
बरसात और तुम
बरसात और तुम
Sidhant Sharma
"अमृत और विष"
Dr. Kishan tandon kranti
पिता
पिता
Buddha Prakash
पेंशन दे दो,
पेंशन दे दो,
मानक लाल"मनु"
यादों की बारिश का
यादों की बारिश का
Dr fauzia Naseem shad
बह रही थी जो हवा
बह रही थी जो हवा
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
चंदा की डोली उठी
चंदा की डोली उठी
Shekhar Chandra Mitra
अलविदा
अलविदा
Dr. Pratibha Mahi
बेटियां
बेटियां
Shriyansh Gupta
अपनी सीमाओं को लांगा
अपनी सीमाओं को लांगा
कवि दीपक बवेजा
नहीं    माँगूँ  बड़ा   ओहदा,
नहीं माँगूँ बड़ा ओहदा,
Satish Srijan
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
सूर्यकांत द्विवेदी
🦋🦋दिल में बसाते हैं, पर एतबार नहीं करते🦋🦋
🦋🦋दिल में बसाते हैं, पर एतबार नहीं करते🦋🦋
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
عجیب دور حقیقت کو خواب لکھنے لگے۔
عجیب دور حقیقت کو خواب لکھنے لگے۔
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
The life is too small to love you,
The life is too small to love you,
Sakshi Tripathi
उम्मीद का दामन थामें बैठे हैं।
उम्मीद का दामन थामें बैठे हैं।
Taj Mohammad
जिंदगी का एकाकीपन
जिंदगी का एकाकीपन
मनोज कर्ण
*सीधा-सादा सदा एक - सा जीवन कब चलता है (गीत)*
*सीधा-सादा सदा एक - सा जीवन कब चलता है (गीत)*
Ravi Prakash
■ व्यंग्य आलेख- काहे का प्रोटोकॉल...?
■ व्यंग्य आलेख- काहे का प्रोटोकॉल...?
*Author प्रणय प्रभात*
कुकिंग शुकिंग
कुकिंग शुकिंग
Surinder blackpen
Loading...