मुरली कि धुन,
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कान्हा के मुरली कि धुन,
सुन प्यार मे दौड़ी राधा रानी।
राधा कहे मेरे मन की सुन,
कान्हा काहे करें तु मन मानी।
कान्हा के संग झूले राधे रानी।
सावन की बूँदों मे प्रेम अठखानी
कान्हा के मुरली कि धुन,
सुन प्यार मे दौड़ी राधा रानी।
काना गोकुल की गलियो मे फोड़े,
गोपियों की माखन मटकी।
काना की नज़रे माखन पर अटकी,
कान्हा काहे करें तु मन मानी।
गवाले भागे काना को पकड़े,
गोपियों संघ कान्हा करें नौटँकी
छोड़ो कान, सासे मेरी तुझ में अटकी।
कान्हा काहे करें तु मन मानी।