मुक्तक-
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मुक्तक-
चाह ले मधुपान की उड़ती हमेशा तितलियाँ।
प्यास धरती की बुझाने ही घुमड़ती बदलियाँ।
मान बैठे ज़िंदगी में जो सफलता को खुशी,
वे उठाने में लगे हैं कोशिशों पर उँगलियाँ।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय
मुक्तक-
चाह ले मधुपान की उड़ती हमेशा तितलियाँ।
प्यास धरती की बुझाने ही घुमड़ती बदलियाँ।
मान बैठे ज़िंदगी में जो सफलता को खुशी,
वे उठाने में लगे हैं कोशिशों पर उँगलियाँ।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय