ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
जीवन और रोटी (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तपन ने सबको छुआ है / गर्मी का नवगीत
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
विवाह समारोहों में सूक्ष्मता से की गई रिसर्च का रिज़ल्ट*
जीवन में असली कलाकार वो गरीब मज़दूर
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती। आज मैं CA बन गया। CA Amit
हम शरीर हैं, ब्रह्म अंदर है और माया बाहर। मन शरीर को संचालित
अभिव्यक्ति का दुरुपयोग एक बहुत ही गंभीर और चिंता का विषय है। भाग - 06 Desert Fellow Rakesh Yadav
*रोज बदलते अफसर-नेता, पद-पदवी-सरकार (गीत)*
सच कहा था किसी ने की आँखें बहुत बड़ी छलिया होती हैं,