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18 Apr 2020 · 1 min read

मुकरियां

समय का पालन यह सिखाए
रोज सवेरे मुझे जगाए
हरदम उसकी जरूरत पड़ी
ऐ सखि साजन, नहीं सखि घड़ी

बाहर उजला भीतर रीठा
लगता है वह कितना मीठा
काम सभी बातों से लेता
ऐ सखि साजन, नहिं सखि नेता

सच्चाई का पाठ पढ़ाया
अंधकार को दूर भगाया
उसके दम से ऊंचा मस्तक
ऐ सखि साजन, नहिं सखि शिक्षक

सबकी नजर में बसी है रंगत
सिर चढ़कर बोले उसकी लत
खुले आंख तो याद वह आय
ऐ सखि साजन, नहीं सखि चाय

उर पर रखती असीमित भार
पूरा न हो उसका उपकार
जनम जनम का उससे नाता
ऐ सखि साजन, नहीं सखि माता

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
2 Likes · 2 Comments · 258 Views

Books from अरशद रसूल /Arshad Rasool

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