Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2023 · 3 min read

मिमियाने की आवाज

कहानी- मिमियाने की आवाज

जीवन का मूल्य अनंत है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी होती है। उसी तरह सभी जीवों को अपनी जान प्यारी होती है। हमें अपने दिल से पराए दिल का हाल जानने की कोशिश करना चाहिए।

कुछ दिनों से घर के पिछवाड़े से पूरे दिन बकरों के मिमियाने की आवाजें आती रहती थी। ऐसा लगता था मानो वे रो रहें हैं। उनका जोर-जोर से मिमियाना मेरे लेखन में बाधा डाल रहा था।
कुछ दिन तो सहन किया,फिर जब रहा ना गया तो एक दिन पिछवाड़े की दीवार से झांक कर देखा,तो दो बहुत बड़े और मोटे बकरे चिल्ला
रहे थे। मेरे घर के पीछे आदि वासियों की बस्ती है। पीछे की पूरी माटी तिलेश्वर माझी की है। उसका लड़का वहीं बकरों के आसपास घूम रहा था।
मैंने उससे पूछा- बकरों का क्या करोगे ?
तो वह बड़ी खुशी से बोला- इसी सात मई को हमारी बहन की शादी है। तब इनको काटा जाएगा और चार दिन रह गए हैं। आपका निमंत्रण भी है।
काटने का नाम सुनते ही मैं अंदर तक हिल गई। मैं ठहरी शाकाहारी जीव-जंतुओं से प्रेम करने वाली। मेरी चौखट पर सुबह से गाय, कुत्ता, बिल्ली, बकरी सब रोटी के लिए आ जाते हैं। नन्ही गौरैया और मैना तो अलसुबह ही खिड़की से चिचिया कर दाना मांगने लगती हैं।

ऐसे में बकरे का रोना मेरी समझ में आ गया था। वे रो-रो कर अपने प्राणों की गुहार लगा रहा था। उसे एहसास हो गया था कि अब उसके जीवन के कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। वे शायद प्रभु से प्रार्थना कर रहा था कि अगले जन्म में मुझे बकरा मत बनाना क्योंकि पहले तो लोग हमें अच्छा-अच्छा भोजन कराकर हमें मोटा करते हैं और फिर हमको ही काटकर जश्न मनाते हुए खा जाते हैं। हमारी तो मृत्यु की तिथि भी मनुष्य अपने हाथों से निश्चित कर लेता है।

मैं गहन विचारों में डूबी उस बेजुबान पशु के विषय में सोच ही रही थी कि तिलेश्वर का लड़का दोनों पशुओं को रस्सी से पकड़ कर अपने घर की तरफ ले जाने के लिए आगे बड़ा। उसका एक मित्र भी उसके साथ था। दोनों हम उम्र थे। यही कोई बीस साल के आस- पास के होंगे।
उसका मित्र कहने लगा, हम तो इनको काटकर इस जीवन से मुक्त कर देते हैं।
मैंने उससे कहा- यदि संसार के बंधनों से मुक्त कराने का तर्क सही है तो फिर किसी आततायी द्वारा नरसंहार को भी आप सही मानेंगे। वह भी तर्क दे सकता है कि वह तो लोगों को कष्टदायक जीवन से मुक्ति दिला रहा है।
हर जीव अंतिम समय तक प्राण बचाने के लिए संघर्ष करता है। जब असहाय हो जाता है तब उसे प्राण गंवाने पड़ते हैं। जिन जीवों को हम मार रहे हैं, उन्हें तो प्राण रक्षा के संघर्ष का अवसर तक नहीं दिया जाता है। बर्बरता सिर्फ वहीं नहीं है, जहां मानव का रक्त बहता है। बर्बरता उन सभी कार्यो में होती है, जहां-जहां रक्त बहता है।

ऐसा कहा जाता है कि अंतिम सांसे गिन रहे जीव से आशीर्वाद लिया जाता है। कहते हैं उस समय वह देवत्व के निकट होता है। जिस जीव को खाने के लिए मार रहे होते हैं। वह अंतिम समय में क्या कहकर…जायेगा। कहीं अंजाने में कोई पाप तो नहीं हो रहा है।
खैर छोड़िए…जो भी हो। हम कौन होते हैं किसी पर अपनी बात थोपने वाले…हमें तो संत कबीर का दोहा याद आ गया।
बकरी पाती खात है, ताकी काढ़ी खाल।
जो नर बकरी खात है, तिनको कौन हवाल।।

डॉ.निशा नंदिनी भारतीय
तिनसुकिया ,असम

Language: Hindi
1 Like · 213 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Nisha nandini Bhartiya
View all
You may also like:
शिद्धतों से ही मिलता है रोशनी का सबब्
शिद्धतों से ही मिलता है रोशनी का सबब्
कवि दीपक बवेजा
*नई सदी में चल रहा, शिक्षा का व्यापार (दस दोहे)*
*नई सदी में चल रहा, शिक्षा का व्यापार (दस दोहे)*
Ravi Prakash
कुंडलिया
कुंडलिया
आर.एस. 'प्रीतम'
🙅आज का लतीफ़ा🙅
🙅आज का लतीफ़ा🙅
*प्रणय प्रभात*
चौथापन
चौथापन
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
वसुधा में होगी जब हरियाली।
वसुधा में होगी जब हरियाली।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
वाह रे जमाना
वाह रे जमाना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
खुशनसीब
खुशनसीब
Bodhisatva kastooriya
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
पूर्वार्थ
“गुरु और शिष्य”
“गुरु और शिष्य”
DrLakshman Jha Parimal
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
Rj Anand Prajapati
पिछले पन्ने 4
पिछले पन्ने 4
Paras Nath Jha
किसी को सच्चा प्यार करने में जो लोग अपना सारा जीवन लगा देते
किसी को सच्चा प्यार करने में जो लोग अपना सारा जीवन लगा देते
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Raksha Bandhan
Raksha Bandhan
Sidhartha Mishra
3034.*पूर्णिका*
3034.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पता नहीं किसने
पता नहीं किसने
Anil Mishra Prahari
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
Bidyadhar Mantry
मैं कहां हूं तुम कहां हो सब कहां हैं।
मैं कहां हूं तुम कहां हो सब कहां हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बाजार  में हिला नहीं
बाजार में हिला नहीं
AJAY AMITABH SUMAN
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"कथरी"
Dr. Kishan tandon kranti
मुर्दे भी मोहित हुए
मुर्दे भी मोहित हुए
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Good things fall apart so that the best can come together.
Good things fall apart so that the best can come together.
Manisha Manjari
आधा - आधा
आधा - आधा
Shaily
एहसास के सहारे
एहसास के सहारे
Surinder blackpen
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
तेरी मुस्कान होती है
तेरी मुस्कान होती है
Namita Gupta
जिस्म झुलसाती हुई गर्मी में..
जिस्म झुलसाती हुई गर्मी में..
Shweta Soni
Loading...