मायका (कुंडलिया)

मायका (कुंडलिया)
_________________________________
आता जीवन – भर सदा , रहा मायका याद
इस – सा आकर्षण कहाँ , इस-जैसा उन्माद
इस – जैसा उन्माद ,पिता – माँ मधुर कहानी
बचपन का वह दौर ,मस्त ज्यों बहता पानी
कहते रवि कविराय , बुढ़ापा चाहे छाता
जहाँ हुई शुरुआत ,याद घर रह – रह आता
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
*मायका* = विवाहित नारी के माता-पिता का घर
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
*रचयिता : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451