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5 Dec 2022 · 1 min read

मान जा ओ मां मेरी

जानता हूं तू नाराज़ है मुझसे
लेकिन तेरी दुआ अब भी मेरे साथ है
कुछ कहती क्यों नहीं मुझसे
जानता हूं तेरे मन में कोई तो बात है

जब बोल नहीं पाता था मैं
तेरे पास सरक सरक कर आता था मैं
तब तो जान लेती थी पलभर में
क्या चाहता हूं और क्यों रो रहा हूं मैं

मेरी बहुत सी गलतियों को
नज़रंदाज़ कर देती थी पहले तू
भूल जा मेरी एक और गलती
अब मेरे पास वापिस आ जा तू

जानता हूं मुश्किल है तेरे लिए भी
मुझसे इस तरह दूर रहना
डांट दे मुझको जितना भी चाहे
लेकिन अब और मुझसे दूर न रहना

छिन गया है संसार मेरा
सूना हो गया है ये जीवन मेरा
अब जीया नहीं जाता ऐसे
आकर खत्म करदे इंतज़ार मेरा

तेरे आंचल की छांव में
सर रखकर जीना है फिर मुझे
नहीं आ सकती कोई मुसीबत जहां
तेरे आंचल में छुप जाना है फिर मुझे

सुन ले ये पुकार मेरी
मान जा अब तो ओ मां मेरी
कर तो रही है तुझसे
दिल से गुज़ारिश ये जां तेरी।

Language: Hindi
14 Likes · 1060 Views

Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'

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