मानव के बस में नहीं, पतझड़ या मधुमास ।
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/12ab159cb74f5691ef80e7074e1c1472_d9d2aa0b01323eb7015430089e50938f_600.jpg)
मानव के बस में नहीं, पतझड़ या मधुमास ।
तृप्ति तीर पर सर्वदा, उसको मिलती प्यास ।
मरीचिका सी जिन्दगी, आभासी अनुबंध –
सुख पाने के अन्त में, होते व्यर्थ प्रयास ।
सुशील सरना / 11-3-24
मानव के बस में नहीं, पतझड़ या मधुमास ।
तृप्ति तीर पर सर्वदा, उसको मिलती प्यास ।
मरीचिका सी जिन्दगी, आभासी अनुबंध –
सुख पाने के अन्त में, होते व्यर्थ प्रयास ।
सुशील सरना / 11-3-24