मात्र क्षणिक आनन्द को,
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मात्र क्षणिक आनन्द को,
हम चुनते इक पात्र
प्रेम किसी के संग यूँ,
होता है भ्रम मात्र
—महावीर उत्तरांचली
मात्र क्षणिक आनन्द को,
हम चुनते इक पात्र
प्रेम किसी के संग यूँ,
होता है भ्रम मात्र
—महावीर उत्तरांचली