मां
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देखने को आईना जब भी उठाया मैंने
मां का अक्स उभरकर फिर नज़र आया आईने में
नहीं मिलता साथ मां जैसा जहान में
चाहे खरीद लो हर चीज शौहरत के गुमान में।
– सुमन मीना (अदिति)
“गुलज़ार हो जाती है ये ज़िंदगी, जब मां की दुआ साथ हो।”
देखने को आईना जब भी उठाया मैंने
मां का अक्स उभरकर फिर नज़र आया आईने में
नहीं मिलता साथ मां जैसा जहान में
चाहे खरीद लो हर चीज शौहरत के गुमान में।
– सुमन मीना (अदिति)
“गुलज़ार हो जाती है ये ज़िंदगी, जब मां की दुआ साथ हो।”