माँ शारदे
1
थाम लो ये हाथ दो वरदान हे माँ शारदे
रख सकूँ कुछ लेखनी का मान हे माँ शारदे
कंठ में भी आ विराजो माँ कृपा कर आप ही
गा सकूँ बस आपके गुणगान हे माँ शारदे
2
मिलता हमको वो नही जो ढूंढते हैं
या जो होता ही नहीं वो ढूंढते हैं
है दिखावा आज जग में हर तरफ ही
आज हम खुद में भी खुद को ढुँढतें हैं
डॉ अर्चना गुप्ता