Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2024 · 2 min read

माँ

यू ही नहीं एक माँ,माँ बन जाती है।
रखती नौ मास गर्भ में सहेज के भूर्ण को
वहाँ अपने रक्त से सींच कर उसे शिशु बनाती
सहती प्रसव पीड़ा भयंकर,
तब जन्म नव शिशु को दे पाती ।
रातों की नींद देकर उस को चैन से सुलाती।
छोड़ के मोह अपनी काया का अपने स्तनों से दूध पिलाती।
रोता अगर नींद में डर कर जब बालक।
जाग के उसे लोरी सुनाती।
भूल कर अपने नक्से और नाज,
बालक के मल मूत्र को साफ करती।
भूल जाती अपना सजना और सँवरना,
पर बालक को स्वच्छ वस्त्रों से महकाती।
जब दूर कहि भूख से रोता बालक,
स्तनों से माँ के बहती दूध की धार।
रह जाती खुद भूखी और प्यासी
मगर निज लाल को खाना खिलाती ।
ऊँगली पकड़कर धीरे-धीरे चलना सिखाती।
सुना कर कहानी राम और कृष्ण की,
बालक को वो सदाचार सिखाती।
जब भी रोता या उदास होता बच्चा,
गुनगुना कर मीठे भजन सुनाती।
सिखाती की खूबसूरत है दुनियाँ
स्वर्ग सी,रख के होठों पर मुस्कान,
दुनियाँ की कटुता छुपाती।
जब चोट कही लग जाती।
माँ के दिल तक आह पहुँच जाती।
लड़ लेती दुनियाँ से काली और दुर्गा बन कर,
जब कभी बच्चे पर विपदा आती।
सिखाती उस को कैसे करे मल मूत्र का त्याग।
कैसे संयम रखें अपनी इंद्रियों पर,
कैसे बनाये खुद को मजबूत।
कैसे रखे सुरक्षित खतरों से।
कैसे आगे बड़े डर से छोड़कर जब
बच्चे को स्कूल वह आती है
कहां चैन से सो पाती है ।
बनती कठोर वह बालक के आगे ,
जब वह कोई गलती करता है ।
उसको मार के ,अपने अश्क को छुपाती।
करती पूजा नित्य वो पर अपने लिए नही,
परिवार के लिए दुआएँ मांगती।
नन्हे-नन्हें हाथों में कलम थमाना और उसे पढ़ाना सिखाती अपने हाथों से खाना बनाकर ,
दुनियाँ की मिठास उसमें मिलाती।
ऐसे वह निजी लाल को खाना खिलाती ।
यूं ही नहीं कोई माँ ,माँ बन जाती
सहती भूख और प्यास तब खाना बनाती।
यूं ही नहीं कोई माँ,माँ बन जाती।
संध्या चतुर्वेदी
मथुरा यूपी

12 Likes · 6 Comments · 243 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*
*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेंहदीं
मेंहदीं
Kumud Srivastava
जनसंख्या का भार
जनसंख्या का भार
Vishnu Prasad 'panchotiya'
गीत
गीत
Pankaj Bindas
कितनी बेचैनियां
कितनी बेचैनियां
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल (याद ने उसकी सताया देर तक)
ग़ज़ल (याद ने उसकी सताया देर तक)
डॉक्टर रागिनी
नहीं हो रहा है भरोसा उन पर!
नहीं हो रहा है भरोसा उन पर!
Jaikrishan Uniyal
प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
Dr.sima
विद्यापति का गाँव
विद्यापति का गाँव
विधानन्द सिंह'' श्रीहर्ष''
वक्त की नजाकत को समझें ' मराठी मानुष ' क्या पता, किसे ' सजदा ' करना पड़ जाए
वक्त की नजाकत को समझें ' मराठी मानुष ' क्या पता, किसे ' सजदा ' करना पड़ जाए
सुशील कुमार 'नवीन'
शब्दों का झंझावत🙏
शब्दों का झंझावत🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भाषा
भाषा
Dr.Pratibha Prakash
हाइकु - डी के निवातिया
हाइकु - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
कोसों लंबी ख़ामोशी,
कोसों लंबी ख़ामोशी,
हिमांशु Kulshrestha
डर
डर
RAMESH Kumar
धड़कनों ने इबादत शुरु कर दी,
धड़कनों ने इबादत शुरु कर दी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अब हम घर में घुस कर नहीं मारते। ऐसे छोटे मोटे काम तो हमारी छ
अब हम घर में घुस कर नहीं मारते। ऐसे छोटे मोटे काम तो हमारी छ
*प्रणय प्रभात*
लोग कहते रहे
लोग कहते रहे
VINOD CHAUHAN
हरे काँच की चूड़ियाँ,
हरे काँच की चूड़ियाँ,
sushil sarna
चिड़िया आँगन आकर बोले,रस की गोली मुंह में घोले ।
चिड़िया आँगन आकर बोले,रस की गोली मुंह में घोले ।
Rita Singh
है प्यार मगर इंतज़ार नहीं।
है प्यार मगर इंतज़ार नहीं।
Amber Srivastava
ऊंची इमारतों में रहने वाले
ऊंची इमारतों में रहने वाले
Chitra Bisht
आह
आह
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
जो ये जिंदगी के कुछ सवाल है ।
जो ये जिंदगी के कुछ सवाल है ।
विवेक दुबे "निश्चल"
बनि गेलहूँ मित्र त तकैत रहू ,
बनि गेलहूँ मित्र त तकैत रहू ,
DrLakshman Jha Parimal
यमुना की सफाई का वचन देते हुए ,
यमुना की सफाई का वचन देते हुए ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
हमारा कोई नहीं है
हमारा कोई नहीं है
shabina. Naaz
"गम की शाम"
Dr. Kishan tandon kranti
खुशामद की राह छोड़कर,
खुशामद की राह छोड़कर,
Ajit Kumar "Karn"
जीव-जगत आधार...
जीव-जगत आधार...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...