Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2023 · 4 min read

महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता क्यों कहा..?

महात्मा गाँधी ने जाति, धर्म, लिंग, व्यवसाय, ग्रामीण, शहरी रूप में विभाजित भारत को एक आत्मा दी थी अर्थात एक सच दिया था और सत्य ही आत्मा है शरीर असत्य है। अर्थात उन्होंने ही सम्पूर्ण भारतीयों को समझाया था कि अंग्रेज सभी के बराबर दुश्मन हैं, इसलिए सभी को भिन्न-भिन्न शरीर में रहते हुए एक आत्मा बनकर अंग्रेजों का विरोध करना चाहिए, तभी अंग्रेज एकता की इस शक्ति को समझ सकेंगे और यहाँ से भागेंगे। जब तक वो विभाजित भारतीयों को विभाजित करते रहेंगे तब तक भारत गुलामी की जंजीरों से आजाद नहीं हो सकता। गाँधी जी का यही विचार जब सुभाष चंद्र बोष के समझ आया तो उन्होंने आजाद हिंद फौज को युद्ध में उतारने से पहले रेडियों के माध्यम से सिंगापुर से देश को संबोधित किया और महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता कहकर विजय का आशीर्वाद लिया। वास्तव में पिता वह होता है जो आत्मा देता है और माता वह जो शरीर देती है। इस प्रकार महात्मा गाँधी ने भिन्न-भिन्न शरीर को एक आत्मा दी, आजादी का एक नारा दिया, अंग्रेजों के रूप में एक दुश्मन दिया और विरोध के रूप में एक आंदोलन दिया, अहिंसा का आंदोलन जिसमें ना हथियार की जरूरत, ना मार काट की जरूरत और ना ही किसी प्रशिक्षण की जरूरत। बस सत्य के पथ पर दुश्मन की आत्मा को शुद्ध कर पुनः वापस लाने की प्रार्थना की जरूरत थी। अंग्रेज बंदूक का जबाव तोप से देते थे, असम्मान का विरोध मृत्युदंड से देते थे, विरोध का जबाव क्रूरता से देते थे किंतु अहिंसा और सत्याग्रह का जबाव उनके पास नहीं था, वो गाँधी के इस हथियार के सामने हथियार विहीन हो गए थे वो समझ ही नहीं सके कि वो गाँधी के इस ब्रह्म अस्त्र को कैसे रोकें जबकि उनके पास आधुनिक समय के सभी हथियार उपलब्ध थे। यही कारण था कि दुतीय विस्व युद्ध के समय जब ब्रिटैन के प्रधानमंत्री चर्चिल ने सुना कि गाँधी अनसन पर हैं तो उसने तत्कालीन वायसराय से कहा, ” जब हम विश्व में हर जगह जीत रहे हैं तो उस खुसड़ बूढ़े से हम कैसे हार सकते हैं..”।
गाँधी समझते थे कि समस्त भारत जाति, धर्म,लिंग,व्यवसाय आदि-आदि में विभाजित था, और सभी समुदायों के अपने अपने हित थे, जैसे ज्योतिवा फुले,पेरियार, अंबेडकर शूद्रों की आजादी के लिए, जिन्ना मुसलमानों की आजादी के लिए, हिंदूवादी हिंदुओं की आजादी के लिए, कम्युनिस्ट मजदूरों के लिए, किसान नेता किसानों के लिए लड़ रहे थे वहीं महात्मा गाँधी कांग्रेस के साथ सभी की आजादी के लिए लड़ रहे थे। वास्तव में वो अंग्रेजों से भारत की आजादी के लिए लड़ रहे थे जबकि अन्य सभी नेता अपने-अपने सामुदायिक हितों के लिए लड़ रहे थे। बिल्कुल यही स्थिति क्रांतिकारियों की थी हालांकि वी भारत की आजादी के लिए लड़ रहे थे किंतु वो इतना नहीं समझ पाए कि वो तलवार से चाकू लड़ा रहे थे और पिस्तौल से तोप को लड़ाने की बात कर वो भी अकेले ही दम पर, क्योंकि अन्य जनता समझ ही नहीं पा रही थी कि वो अंग्रेजों से क्यों लड़ें क्योंकि राजाओं द्वारा अभी तक उनका शोषण ही होता रहा था, और वही शोषण अंग्रेज कर रहे थे तो इसमें उनके लिए कुछ नया नहीं था। इसलिए लोग क्रांतिकारियों के साथ खड़े नहीं हो पा रहे थे क्योंकि वो समझ रहे थे कि उनके पास वो हथियार जो अंग्रेजों के पास हैं इसलिए वो बेमौत मारे जाएंगे। इन सभी का जबाव गाँधी ने सत्याग्रह, असहयोग,दांडी यात्रा एवं श्रम दान के माध्यम से निकाला। इसके लिए गाँधी ने सबसे पहले लोगों को अंग्रेजों की हकीकत से परिचित कराया कि ये वो राजा नहीं जिन्हें आपके पूर्वज सहते आये हैं। भले ही मुसलमान राजा थे मगर वो अपने ही थे, वो यही पर पैदा हुए थे यही से कमाया और यही पर खर्च किया था किंतु अंग्रेज ना तो यहाँ रहते, ना यहाँ पर खर्च करते बल्कि ये यहाँ से कमाते हैं और विदेश भेज देते हैं। इस प्रकार अंग्रेज भारतीय संपदा का दोहन कर रहे हैं, और सभी के हित इसी में है कि मिलकर उनको रोको क्योंकि वो तुम्हारे विभाजन का लाभ लेकर ही ऐसा कर पा रहे हैं और उनसे लड़ने के लिए हमको किसी हथियार या गोला बारूद की जरूरत नहीं, हमारा आत्मबल ही इतना ताक़तवर है कि वो हमसे डर जाएंगे। और फिर ऐसा ही हुआ, गाँधी के नेतृत्व में सम्पूर्ण भारत एक सूत्र में पिरो दिया गया, और देश की आजादी की लड़ाई लड़ी गयी। जिसका फल हम सभी अच्छे से खा रहे हैं। अतः गाँधी जी ने जिस एकता की बात की और जिस सत्याग्रह के माध्यम से विश्व की सबसे बड़ी शक्ति को पराजित किया, हमें उसी एकता और सत्याग्रह को अपनी धरोहर समझ संरक्षित करना चाहिए, अपने व्यवहार और अपने विचारों में।

Language: Hindi
1 Like · 220 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all
You may also like:
बात तो सच है सौ आने कि साथ नहीं ये जाएगी
बात तो सच है सौ आने कि साथ नहीं ये जाएगी
Shweta Soni
जन्मदिन मुबारक तुम्हें लाड़ली
जन्मदिन मुबारक तुम्हें लाड़ली
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"जवाब"
Dr. Kishan tandon kranti
!! कुछ दिन और !!
!! कुछ दिन और !!
Chunnu Lal Gupta
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
नादानी
नादानी
Shaily
47.....22 22 22 22 22 22
47.....22 22 22 22 22 22
sushil yadav
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
****शीतल प्रभा****
****शीतल प्रभा****
Kavita Chouhan
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Suryakant Dwivedi
#बधाई
#बधाई
*प्रणय प्रभात*
सबकी जात कुजात
सबकी जात कुजात
मानक लाल मनु
*एक (बाल कविता)*
*एक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
शेखर सिंह
अब तो आई शरण तिहारी
अब तो आई शरण तिहारी
Dr. Upasana Pandey
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
लक्ष्मी सिंह
Forever
Forever
Vedha Singh
" तिलिस्मी जादूगर "
Dr Meenu Poonia
नाक पर दोहे
नाक पर दोहे
Subhash Singhai
समय
समय
Swami Ganganiya
एकतरफा प्यार
एकतरफा प्यार
Shekhar Chandra Mitra
3142.*पूर्णिका*
3142.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
ना रास्तों ने साथ दिया,ना मंजिलो ने इंतजार किया
ना रास्तों ने साथ दिया,ना मंजिलो ने इंतजार किया
पूर्वार्थ
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
Keshav kishor Kumar
पशुओं के दूध का मनुष्य द्वारा उपयोग अत्याचार है
पशुओं के दूध का मनुष्य द्वारा उपयोग अत्याचार है
Dr MusafiR BaithA
Loading...