Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2017 · 1 min read

*महकती फूल हूँ *

महकती फूल हूँ
मसले जाने
या फिर
मुरझाने का
कोई गम नहीं है
हवा में तिरती सौरभ हूँ
अपना अस्तित्व
पहचान खुद हूँ
झोंका पवन का
बिखरा सकता नहीं
थार में भी खेलती हूँ
पत्थर पे मुस्कान बिखेरती
कुटज हूँ मैं
पवन हिलोरे लेते
संग-संग मेरे
जीवन संजीवनी हूँ
प्रेम राग छेड़ती
मधुवन में
धूम मचाती हूँ
वन में मृदुल
वसंत बन आती हूँ
तेरा वजूद है मुझसे
तेरी पहचान हूँ मैं
पग की धूल नहीं
नहीं बिछती बन शूल
पद चिन्ह बनाती
पथ प्रदर्शक हूँ
चढ़ती माथे नहीं किसी की
न बनती सिरमौरय
धूल में फूल खिलाती
मैं तेरी भाल हूँ
पहचान मुझे नहीं
झाँक अपने आप को
अस्तित्व विहीन नहीं
तेरी अस्मिता की
नव -निर्मात्री हूँ ।

Language: Hindi
Tag: कविता
245 Views

Books from सरस्वती कुमारी

You may also like:
वो_हमे_हम उन्हें_ याद _आते _रहेंगे
वो_हमे_हम उन्हें_ याद _आते _रहेंगे
कृष्णकांत गुर्जर
✍️कुदरत और फ़ितरत
✍️कुदरत और फ़ितरत
'अशांत' शेखर
तुम दोषी हो?
तुम दोषी हो?
Dr. Girish Chandra Agarwal
प्रकाश
प्रकाश
Saraswati Bajpai
आपकी इस मासूमियत पर
आपकी इस मासूमियत पर
gurudeenverma198
बच्चों की दिपावली
बच्चों की दिपावली
Buddha Prakash
तुमसे मिलने से पहले।
तुमसे मिलने से पहले।
Taj Mohammad
क्या मैं थी
क्या मैं थी
Surinder blackpen
शक्ति साधना सब करें
शक्ति साधना सब करें
surenderpal vaidya
ख़्वाब
ख़्वाब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*Success_Your_Goal*
*Success_Your_Goal*
Manoj Kushwaha PS
बाल दिवस पर विशेष
बाल दिवस पर विशेष
Vindhya Prakash Mishra
रंगों की दुनिया में सब से
रंगों की दुनिया में सब से
shabina. Naaz
अब न पछताओगी तुम हमसे मिलके
अब न पछताओगी तुम हमसे मिलके
Ram Krishan Rastogi
■ लोक संस्कृति का पर्व : गणगौर
■ लोक संस्कृति का पर्व : गणगौर
*Author प्रणय प्रभात*
छुपा रखा है।
छुपा रखा है।
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
अपूर्ण प्रश्न
अपूर्ण प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
उन्हें नहीं मालूम
उन्हें नहीं मालूम
Brijpal Singh
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जीनगी हो गइल कांट
जीनगी हो गइल कांट
Dhirendra Panchal
“ अभिव्यक्ति क स्वतंत्रता केँ पूर्वाग्रसित सँ अलंकृत जुनि करू ”
“ अभिव्यक्ति क स्वतंत्रता केँ पूर्वाग्रसित सँ अलंकृत जुनि करू...
DrLakshman Jha Parimal
*जिधर देखो उधर कुत्ते (हिंदी गजल/गीतिका)*
*जिधर देखो उधर कुत्ते (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
ऋतुराज बसंत
ऋतुराज बसंत
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
आग्रह
आग्रह
Rashmi Sanjay
अपने गीत
अपने गीत
Shekhar Chandra Mitra
Khamoshi bhi apni juban rakhti h
Khamoshi bhi apni juban rakhti h
Sakshi Tripathi
वो इश्क याद आता है
वो इश्क याद आता है
N.ksahu0007@writer
सार छंद / छन्न पकैया गीत
सार छंद / छन्न पकैया गीत
Subhash Singhai
💐प्रेम कौतुक-445💐
💐प्रेम कौतुक-445💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...