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7 Jul 2021 · 1 min read

महंगाई और तेल

महंगाई जब भी आती है, सबको बड़ा सताती है।
ये अजीब महंगाई है जो तेल ,प्याज पर टिक जाती है।
सैलरी बढ़ती नही बताते ,सब्सिडी खाते नही बताते,
क्या इन्ही चंद चीजों में ,महंगाई नजर अब आती है।
आज तक मैने न देखा, किसने दारू पर शोर किया हो।
बढ़ा दाम है मदिरा का, इसका विरोध पुरजोर किया हो।
आखिर जनता चंद चीज़ो पर ,मुद्दे से भटक क्यो जाती है।
ये अजीब महंगाई है जो तेल ,प्याज पर टिक जाती है।
कार ,दोपहिया का दाम जब बढ़ता ।
पर उसपर लोग का पारा नही चढ़ता।
दाम कितना है मतलब न इससे ,लेते हैं जो भाती है।
ये अजीब महंगाई है जो तेल ,प्याज पर टिक जाती है।
18 का गेहूं 2 में मिलता ,इसपर जनता कभी बोली क्या?
मुफ्तखोर सरकार बना दी तुम्हे ,इससे भरेगी झोली क्या?
जब भी चुनाव आ जाता है ,सरकारें मुफ्त लुटाती है।
ये अजीब महंगाई है जो तेल ,प्याज पर टिक जाती है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 350 Views
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