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2 Apr 2017 · 1 min read

बेटी आई घर-आँगन महकाई

बेटी आई घर-आँगन महकाई
खिलखिलाती धूप सी आई

सागर की मोती जैसी
दीया की बाती जैसी
जगमगाती ज्योति आई
बेटी आई घर -आँगन महकाई
खिलखिलाती धूप सी आई

पिता की दुलारी है
माँ की प्यारी है
सबकी राजदुलारी आई
बेटी आई घर -आँगन महकाई
खिलखिलाती धूप सी आई

कुल दीपक कुल की शान है
दोनों कुल की रखती मान है
मरूभूमि में फूल खिलाती आई
बेटी आई घर -आँगन महकाई
खिलखिलाती धूप सी आई

सागर सी गहराई है
इरादा भी फौलादी है
छूने आसमान आई
बेटी आई घर- आँगन महकाई
खिलखिलाती धूप सी आई

चाँद तारे मुट्ठी में लाई
सूरज सा चमक लाई
रचने नया इतिहास आई
बेटी आई घर -आँगन महकाई
खिलखिलाती धूप सी आई

युगों युगों की कहानी है
प्रीत इसकी पुरानी है
सबकी आँखों में पानी लाई
बेटी आई घर-आँगन महकाई
खिलखिलाती धूप सी आई

माँ भारती की बेटी है
राष्ट्र की नव-निर्मात्री है
अमिट छाप छोड़ने आई
बेटी आई घर -आँगन महकाई
खिलखिलाती धूप सी आई ।

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 703 Views

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