बेटियां
आज के विषय पर मेरी छोटी सी कोशिश।
विषय -बेटियां
बेटियां तो बेटियां होती है,
माँ बाबुल की आँगन की बगियाँ होती है।
तितलियों सी फुदक कभी यहाँ कभी वहाँ घूमती है।
फूलों की जैसी मनमोहक होती हैं।।।
माता -पिता की राजदुलारी,
घर आँगन की किलकारियां होती है।
बेटियां तो बेटियां होती है।।।
मन की भोली चेहरे से मासूम होती है।
बेटियां तो सुख दुःख में सहयोगी होती है।।।।
फूलों सी नाज़ुक भवरों सी मंडराती हैं।
बेटियां तो बाबुल के आँगन की रौनक होती है।।।।।
माँ के कलेजे का टुकड़ा होती हैं।
बेटियां तो पिता की लाज होती है।।।।
पढ़ लिखकर दुनियां में नाम कमाती है,
बेटियां मुश्किलों से कभी न घबराती है।।।।
उच्च नीच की जंज़ीरों को तोड़ सबकों समान समझती हैं।
बेटियां बेटों से कही ज़्यादा समझदार होती है।।।
दो, दो परिवारों की रिश्तों की सुंदर माला पिरोती है।
बेटियां हर किसी को नसीब नही होती है।।।।
विधाता की मर्जी जहाँ होती हैं।
बेटियां उसी घर की महक और रंगत होती है।।।।।
कवियित्री
गायत्री सोनू जैन
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