Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2016 · 3 min read

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक : दशहरा

आज हर तरफ फैले भ्रष्टाचार और अन्याय रूपी अंधकार को देखकर मन में हमेशा उस उजाले को पाने की चाह रहती है जो इस अंधकार को मिटाए. कहीं से भी कोई आस न मिलने के बाद हम अपनी संस्कृति के ही पन्नों को पलट आगे बढ़ने की उम्मीद ढ़ूढ़ते है।
रावण को हर वर्ष जलाना असल में यह बताता है कि हिंदू समाज आज भी गलत का प्रतिरोधी है | वह आज भी और प्रति दिन अन्याय के विरुद्ध है | रावण को हर वर्ष जलाना अन्याय पर न्यायवादी जीत का प्रतीक है | कि जब जब पृथ्वी पर अन्याय होगा हिन्दू संस्कृति उसके विरुद्ध रहेगी |

आतंकवाद, गन्दगी, भ्रष्टाचार और महँगाई आदि बहुमुखी रावण है आज के समय में ये सब रावण के प्रतीक है |सबने रामायण को किसी न किसी रुप में सुना, देखा और पढ़ा ही होगा. रामायण यह सीख देती है कि चाहे असत्य और बुरी ताकतें कितनी भी प्रबल हो जाएं पर अच्छाई के सामने उनका वजूद उनका अस्तित्व नहीं टिकेगा । अन्याय की इस मार से मानव ही नहीं भगवान भी पीड़ित हो चुके हैं लेकिन सच और अच्छाई ने हमेशा सही व्यक्ति का साथ दिया है ।
दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों को हरता है दस प्रकार के पाप – काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी है । दशहरे का पर्व इन पापों
के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है. राम और रावण की कथा तो हम सब जानते ही हैं जिसमें राम को भगवान विष्णु का एक अवतार बताया गया है.वह चाहते तो अपनी शक्तियों से सीता को छुड़ा सकते थे लेकिन मानव जाति को यह पाठ पढ़ाने के लिए कि
“हमेशा बुराई अच्छाई से नीचे रहती है और चाहे अंधेरा कितना भी घना क्यूं न हो एक दिन मिट ही जाता है”
यह बुराई केवल स्त्री हरण से जुड़ी नहीं है। आज तो हजारों स्त्रियों का हरण होता है कुछ लोग एक दलित को जिंदा जला देते हैं। बलात्कार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। देश में शराबखोरी और ड्रग्स की लत से युवा घिरे हुए हैं। वे युवा जिन्हें 21 वीं सदी में भारत को सिरमौर बनाने की जिम्मेदारी उठाने वाला कहा जाता है वे ड्रग्स की लत से ग्रस्त है ।
हमने रावण को मारकर दशहरे के अंधकार में उत्साह का उजाला तो फैला दिया लेकिन क्या हम इन बुराईयों को दूर कर पाऐ हैं। दशहरा उत्सव अपने उद्देश्य से भटक गया है। अब दशहरे पर केवल शोर होता है और कुछ घंटों का उत्साह मगर लोग आज भी उन बुराईयो

हमने रावण को मारकर दशहरे के अंधकार में उत्साह का उजाला तो फैला दिया लेकिन क्या हम इन बुराईयों को दूर कर पाऐ हैं। दशहरा उत्सव अपने उद्देश्य से भटक गया है। अब दशहरे पर केवल शोर होता है और कुछ घंटों का उत्साह मगर लोग आज भी उन बुराईयों के बीच जीते हैं। इस पर्व पर लोगों से संकल्प करवाने वाले और अपनी कोई भी एक बुराई छोड़ने की अपील करने वाले भी इस पर्व के अंधकार में खो जाते हैं। रावण का पुतला सभी को उत्साहित करता है लेकिन बुराईयों से घिरे मानव को इन बुराईयों से मुक्ति नहीं मिल पाती है।
धन पाने की लालसा में व्यक्ति लगा रहता है और बुराईयों के जाल में उलझ जाता है। इस पर्व में भी रावण के पुतले के दहन के साथ ही समाज उसकी बुराईयों को देखता है मगर उसकी अच्छाईयों को भूल जाता । इस पर्व पर लोगों से संकल्प करवाने वाले और अपनी कोई भी एक बुराई छोड़ने की अपील करने वाले भी इस पर्व के अंधकार में खो जाते हैं। रावण का पुतला सभी को उत्साहित करता है लेकिन बुराईयों से घिरे मानव को इन बुराईयों से मुक्ति नहीं मिल पाती है
राम ने मानव योनि में जन्म लिया और एक आदर्श प्रस्तुत किया। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों के रूप में लोग बुरी ताकतों को जलाने का प्रण लेते हैं दशहरा आज भी लोगों के दिलों में भक्तिभाव को ज्वलंत कर रहा है. रावण विजयदशमी को देश के हर हिस्से में जलाया जाता है.

– डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
Tag: लेख
71 Likes · 2 Comments · 3996 Views

Books from DR.MDHU TRIVEDI

You may also like:
क्यों इतना मुश्किल है
क्यों इतना मुश्किल है
Surinder blackpen
हाल-ए-दिल जब छुपा कर रखा, जाने कैसे तब खामोशी भी ये सुन जाती है, और दर्द लिए कराहे तो, चीखों को अनसुना कर मुँह फेर जाती है।
हाल-ए-दिल जब छुपा कर रखा, जाने कैसे तब खामोशी भी ये सुन जाती है, और दर्द लिए कराहे तो, चीखों को अनसुना कर मुँह फेर जाती है।
Manisha Manjari
उस पार की आबोहवां में जरासी मोहब्बत भर दे
उस पार की आबोहवां में जरासी मोहब्बत भर दे
'अशांत' शेखर
*श्रंगार रस की पाँच कुंडलियाँ*
*श्रंगार रस की पाँच कुंडलियाँ*
Ravi Prakash
धरती का बेटा
धरती का बेटा
Prakash Chandra
#यदा_कदा_संवाद_मधुर, #छल_का_परिचायक।
#यदा_कदा_संवाद_मधुर, #छल_का_परिचायक।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
দিগন্তে ছেয়ে আছে ধুলো
দিগন্তে ছেয়ে আছে ধুলো
Sakhawat Jisan
दिल की दहलीज पर कदमों के निशा आज भी है
दिल की दहलीज पर कदमों के निशा आज भी है
कवि दीपक बवेजा
मुझे मिले हैं जो रहमत उसी की वो जाने।
मुझे मिले हैं जो रहमत उसी की वो जाने।
सत्य कुमार प्रेमी
होली के रंग
होली के रंग
Anju ( Ojhal )
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
Anil chobisa
तसल्ली मुझे जीने की,
तसल्ली मुझे जीने की,
Vishal babu (vishu)
तू भी धक्के खा, हे मुसाफिर ! ,
तू भी धक्के खा, हे मुसाफिर ! ,
Buddha Prakash
💐अज्ञात के प्रति-12💐
💐अज्ञात के प्रति-12💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
* पराया मत समझ लेना *
* पराया मत समझ लेना *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ सुविचार
■ सुविचार
*Author प्रणय प्रभात*
बेकारी का सवाल
बेकारी का सवाल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
चले जाना
चले जाना
Dr. Rajiv
नारी अस्मिता
नारी अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
*शिकायतें तो बहुत सी है इस जिंदगी से ,परंतु चुप चाप मौन रहकर
*शिकायतें तो बहुत सी है इस जिंदगी से ,परंतु चुप चाप मौन रहकर
Shashi kala vyas
अजब-गजब इन्सान...
अजब-गजब इन्सान...
डॉ.सीमा अग्रवाल
हे री सखी मत डाल अब इतना रंग गुलाल
हे री सखी मत डाल अब इतना रंग गुलाल
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ग़ज़ल - इश्क़ है
ग़ज़ल - इश्क़ है
Mahendra Narayan
यह जो तुम बांधती हो पैरों में अपने काला धागा ,
यह जो तुम बांधती हो पैरों में अपने काला धागा ,
श्याम सिंह बिष्ट
प्यार
प्यार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तलाक़ का जश्न…
तलाक़ का जश्न…
Anand Kumar
माना सच है वो कमजर्फ कमीन बहुत  है।
माना सच है वो कमजर्फ कमीन बहुत है।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मेरी-तेरी पाती
मेरी-तेरी पाती
Ravi Ghayal
जीवन के बुझे हुए चिराग़...!!!
जीवन के बुझे हुए चिराग़...!!!
Jyoti Khari
सफर
सफर
Arti Bhadauria
Loading...