बुराइयां हैं बहुत आदमी के साथ
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मेरी तो उम्र कटी लेखनी के साथ
तेरी भी उम्र कटे शायरी के साथ
फ़रेबियों की ज़रा बात क्या सुनी
फ़रेब ख़ूब हुए ज़िन्दगी के साथ
जहां में सब को ख़ुशी की तलाश है
भटक रहे हैं सभी नाख़ुशी के साथ
हरेक शख़्स को कुत्ते पसन्द हैं
बुराइयां हैं बहुत आदमी के साथ
हमें भी पहली मुहब्बत ने ग़म दिए
मगर मज़े में रहे दूसरी के साथ
– शिवकुमार बिलगरामी