Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2022 · 1 min read

बुंदेली दोहा

बिषय- हओ (हां)

*1*

जब बै दिखै उलायते , तुमै लगै उकतात |
हओ न #राना कै धरौ ,हुइयै काम नसात ||
***
*2*

जीकी चाने हओ तुमे, हम बतलातइ बात |
नस पकरो #राना उतै , ऊकी कितै पिरात ||
***

*3*
#राना से वें कत हओ, पाछै मुड़ी हिलात |
फूटी कौड़ी जानतइ , सब उनकी औकात ||
***

*© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़*
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

2 Likes · 98 Views
You may also like:
कोई पूछे की ग़म है क्या?
कोई पूछे की ग़म है क्या?
Ranjana Verma
شعر
شعر
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
💐अज्ञात के प्रति-121💐
💐अज्ञात के प्रति-121💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आज़ाद हूं मैं
आज़ाद हूं मैं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
पैगाम डॉ अंबेडकर का
पैगाम डॉ अंबेडकर का
Buddha Prakash
सच यह गीत मैंने लिखा है
सच यह गीत मैंने लिखा है
gurudeenverma198
हाल-ए-दिल जब छुपा कर रखा, जाने कैसे तब खामोशी भी ये सुन जाती है, और दर्द लिए कराहे तो, चीखों को अनसुना कर मुँह फेर जाती है।
हाल-ए-दिल जब छुपा कर रखा, जाने कैसे तब खामोशी भी...
Manisha Manjari
जियले के नाव घुरहूँ
जियले के नाव घुरहूँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बदला सा......
बदला सा......
Kavita Chouhan
लड़खड़ाने से न डर
लड़खड़ाने से न डर
Satish Srijan
भारतीय संस्कृति और उसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता
भारतीय संस्कृति और उसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
तू इतनी खूबसूरत है...
तू इतनी खूबसूरत है...
आकाश महेशपुरी
सेंटा क्लॉज
सेंटा क्लॉज
Surinder blackpen
क्षमा
क्षमा
Shyam Sundar Subramanian
'संज्ञा'
'संज्ञा'
पंकज कुमार कर्ण
मर जाऊँ क्या?
मर जाऊँ क्या?
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
Khuch wakt ke bad , log tumhe padhna shuru krenge.
Khuch wakt ke bad , log tumhe padhna shuru krenge.
Sakshi Tripathi
✍️वो अच्छे से समझता है ✍️
✍️वो अच्छे से समझता है ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
विपक्ष की राजनीति
विपक्ष की राजनीति
Shekhar Chandra Mitra
■ काब्यमय प्रयोगधर्म
■ काब्यमय प्रयोगधर्म
*Author प्रणय प्रभात*
मुझे ना छेड़ अभी गर्दिशे -ज़माने तू
मुझे ना छेड़ अभी गर्दिशे -ज़माने तू
shabina. Naaz
होली के कुण्डलिया
होली के कुण्डलिया
Vijay kumar Pandey
किस हक से जिंदा हुई
किस हक से जिंदा हुई
कवि दीपक बवेजा
आत्मनिर्भर
आत्मनिर्भर
मनोज कर्ण
मैं तुझमें तू मुझमें
मैं तुझमें तू मुझमें
Varun Singh Gautam
माँ
माँ
Kamal Deependra Singh
बुरा समय था
बुरा समय था
Swami Ganganiya
वादा था भूलने का
वादा था भूलने का
Dr fauzia Naseem shad
तेरी नादाँ समझ को समझा दे अभी मैं ख़ाक हुवा नहीं
तेरी नादाँ समझ को समझा दे अभी मैं ख़ाक हुवा...
'अशांत' शेखर
एकाकी (कुंडलिया)
एकाकी (कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...