Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2022 · 2 min read

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -९०

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -९०

प्रदत्त शब्द -बजरी (रेत)

संयोजक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
आयोजक- जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़

प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
भवन गगनचुम्बी बने, नदियाॅं बनगइं खाइ।
बजरी खुदरइ रात में, बढ़गइ पुलिस कमाइ।।
***
“राम सेवक “हरिकिंकर ” ललितपुर
*2*
बजरी-सी है जिंदगी, मुट्ठी में नइँ आय।
रोके सें रुकबे नहीं, खिसक हराँ से जाय।।
****
अमर सिंह राय, नौगांव
*3*
सब कुतका पै बे धरें,सरकारी कानून।
सबरी बजरी बेंच कें,नेता पी गय खून।।
***
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़#
*4*
छान छान बजरी भरी, खूब करौ श्रमदान ।
राम लला कौ बन गऔ, मंदिर आलीशान।।
***
एस आर सरल,टीकमगढ़
*5*
पंच तत्व की ईंट में, गारा भजन लगाय।
बजरी पै बाखर बना,बिधि नै द‌ई गहाय।।
***
भगवान सिंह लोधी “अनुरागी” हटा दमोह
*6*
बजरी, पथरा बैंचकें,डाँग करी वीरान।
देख लालची आदमी, कुदरत भी हैरान।।
***
-संजय श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली)
*7*
ढोवे तसला माइ जब, बनें इमारत तुंग।
बजरी पै खेलै लला,घरघूलन के संग।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*8*

बजरी गंगा घाट की , मलमल आंग लगांय।
दाद खाज छाजन मिटै ,कोटि पाप कट जांय ।।
***
आशाराम वर्मा “नादान” पृथ्वीपुर
*9*
बजरी भौतउ कीमती,सबके बनैं मकान ।
देखत में साजे लगैं ,नइ नइ बनैं डिजान ।।
***
-शोभारामदाँगी नदनवारा
*10*
बजरी ईंटा जोर कैं, बन रव नओ मकान।
नईं ठिकानों आज को, जोरत हैं सामान।।
***
~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*11*
नाम लिखौ ना रेत पै,हाथ कछू ना आय ।
आएगी जब इक लहर, नाम सकल मिट जाय।।
***
डा, एम, एस, श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
*12*
ढूँडें बजरी ना मिलै, भई चील कौ मूत।
महँगाई यैसी बड़ी, सबखों पर गव कूत।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*13*
कला लखी खजराव की, है बैकुंठ समान।
बिन बजरी गारे बिना, पुतरिन पारे प्रान।।
****
डॉ. देवदत्त द्विवेदी ,बडा मलेहरा
*14*
करत दलाली ठग रहे,बजरी बैंचें ठोक।
कोऊ रोकत है नहीं,भलै लगी है रोक।।
***
प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़
*15*
बजरी कैसो टेम जो,थुबतइ नइ दिखाय।
उम्रर हमाई देख लो, सबरी सरकत जाय ।।
***
– श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*16*
हीरा सी बजरी सुनो, नेता रहे चुराए ।
रात दिन धंधो करें ,कोठी रहे बनाए
***
डा आर बी पटेल “अनजान’, छतरपुर
*17*
आँग भिड़ाकर गिलहरी , रइ बजरी है डार |
कर रय जित है नील नल , राम सेतु तैयार ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा

संयोजक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
आयोजक- जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़

48 Views
You may also like:
वो कभी दूर तो कभी पास थी
वो कभी दूर तो कभी पास थी
'अशांत' शेखर
✍️जन्मदिन✍️
✍️जन्मदिन✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
हौसलों की ही जीत होती है
हौसलों की ही जीत होती है
Dr fauzia Naseem shad
क़ुसूरवार
क़ुसूरवार
Shyam Sundar Subramanian
गीत : मान जा रे मान जा रे…
गीत : मान जा रे मान जा रे…
शांतिलाल सोनी
कलयुग : जंग -ए - जमाने
कलयुग : जंग -ए - जमाने
Nishant prakhar
जीवन अनमोल है।
जीवन अनमोल है।
जगदीश लववंशी
■ शर्मनाक हालात
■ शर्मनाक हालात
*Author प्रणय प्रभात*
जितना आवश्यक है बस उतना ही
जितना आवश्यक है बस उतना ही
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
विद्रोही
विद्रोही
Shekhar Chandra Mitra
कहमुकरी: एक दृष्टि
कहमुकरी: एक दृष्टि
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कलम
कलम
शायर देव मेहरानियां
💐अज्ञात के प्रति-106💐
💐अज्ञात के प्रति-106💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
किस्मत की लकीरों पे यूं भरोसा ना कर
किस्मत की लकीरों पे यूं भरोसा ना कर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मजदूर -भाग -एक
मजदूर -भाग -एक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मशहूर हो जाऊं
मशहूर हो जाऊं
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
*तुच्छ कार्यों पर नहीं अड़िए (मुक्तक)*
*तुच्छ कार्यों पर नहीं अड़िए (मुक्तक)*
Ravi Prakash
जहांँ कुछ भी नहीं दिखता ..!
जहांँ कुछ भी नहीं दिखता ..!
Ranjana Verma
आशाओं के दीप जलाए थे मैने
आशाओं के दीप जलाए थे मैने
Ram Krishan Rastogi
बड़ी मुश्किल से आया है अकेले चलने का हुनर
बड़ी मुश्किल से आया है अकेले चलने का हुनर
कवि दीपक बवेजा
सम्मान
सम्मान
Saraswati Bajpai
पक्षी
पक्षी
Sushil chauhan
बेजुबान और कसाई
बेजुबान और कसाई
मनोज कर्ण
"छठ की बात"
पंकज कुमार कर्ण
हे री सखी मत डाल अब इतना रंग गुलाल
हे री सखी मत डाल अब इतना रंग गुलाल
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जाम पीते हैं थोड़ा कम लेकर।
जाम पीते हैं थोड़ा कम लेकर।
सत्य कुमार प्रेमी
शुभ होली
शुभ होली
Dr Archana Gupta
हमसे बात ना करो।
हमसे बात ना करो।
Taj Mohammad
शीर्षक:
शीर्षक: "ये रीत निभानी है"
MSW Sunil SainiCENA
मन की भाषा
मन की भाषा
Satish Srijan
Loading...