बड़ा आदमी (हास्य व्यंग्य)

*बड़ा आदमी 【हास्य व्यंग्य】*
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दुनिया में दो प्रकार के ही लोग होते हैं। एक बड़े आदमी ,दूसरे छोटे आदमी । वैसे तो न कोई छोटा होता है , न बड़ा होता है । लेकिन कुछ लोग अपने आप को बड़ा आदमी मानते हैं ,इसलिए उन्हें बाकी लोग छोटे आदमी नजर आते हैं ।
जो लोग खुद को बड़ा आदमी समझते हैं ,वह हर प्रकार से अपने को बड़ा आदमी समझते हैं । वह मुस्कुराएँगे तो भी बड़े आदमियों की तरह ,रोएँगे तो भी बड़े आदमियों की तरह और जब गंभीरता से बैठेंगे या चलेंगे तो भी बड़े आदमियों की तरह नजर आएँगे ।
उनके स्वभाव में बड़ा आदमीपन लगता है । वह साँस लेते हैं तो वह बड़े आदमी की साँस होती है। देखा जाए तो इसमें छोटा या बड़ा कुछ नहीं होता । हँसी ,रूदन ,मौन सब एक जैसे ही प्रकार से अभिव्यक्त होते हैं। लेकिन फिर भी अगर बड़े आदमी में बड़ेपन वाली बात न दिखे तो वह काहे का बड़ा आदमी ?
अगर ज्यादा भीड़ है तो बड़ा आदमी उस भीड़ में अपने आप को खोना पसंद नहीं करेगा अर्थात उसका एक अलग अस्तित्व नजर आना चाहिए । अगर ट्रेन में तीन डिब्बे हैं और तीनों एक जैसे ही हैं ,तब भी बड़ा आदमी यह पूछ कर उस डिब्बे में चढ़ेगा जिसका किराया सबसे ज्यादा होगा। बड़ा आदमी कभी भी छोटे आदमी के साथ घुलता-मिलता नहीं है । अगर उसे छोटे आदमियों के साथ घुलना-मिलना पड़ जाए तब भी वह हर दो मिनट के बाद यह एहसास सबको कराता रहेगा कि देखो मैं छोटे आदमियों के साथ कितना घुल-मिल गया हूँ। इन सब बातों से पता चलता रहता है कि छोटे आदमियों के बीच में वह जो घुल-मिल कर बैठा हुआ है, वह एक बड़ा आदमी है।
बड़ा आदमी छोटे आदमियों की बस्ती में जाकर किसी बच्चे को अपनी गोदी में उठाता है और उसके साथ चल रहा फोटोग्राफर तत्परता से उस क्षण को कैमरे में कैद कर लेता है । फिर बाद में सबको बताने में सुविधा रहती है। अगर फोटोग्राफर यह मौका चूक जाता है तो उसे डाँट पड़ती है और नौकरी से निकाल दिया जाता है । कारण यह है कि बड़े आदमी को फिर से फोटो खिंचवाने के लिए वही कष्टप्रद क्रिया दोहरानी पड़ेगी।
कुछ लोग पैदाइशी बड़े होते हैं । बड़ा आदमीपन उन्हें जन्मजात गुण के रूप में प्राप्त होता है । कुछ लोग समय और परिस्थितियों के साथ-साथ इस गुण को अपने भीतर विकसित करते रहते हैं । उन्हें जिस क्षण यह आत्मबोध हो जाता है कि अब वह बड़े आदमी हो गए हैं ,उसी क्षण से वह छोटे आदमियों को छोटा आदमी समझ कर उनसे प्रेम प्रदर्शित करना आरंभ कर देते हैं । जब कोई व्यक्ति इस बात का प्रदर्शन करे कि वह बड़ा आदमी नहीं है ,तब समझ लो कि वह बड़ा आदमी बन चुका है और अब किसी काम का नहीं रह गया है ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451