फेसबूक में लेख ,कविता ,कहानियाँ और संस्मरण संक्षिप्त ,सरल औ
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फेसबूक में लेख ,कविता ,कहानियाँ और संस्मरण संक्षिप्त ,सरल और बोधगम्य होनी चाहिए वरना ” विनय पत्रिका ” आपका भला कौन पढ़ना चाहेगा ! अनुवाद भले आप कुछ कर लें पर जिस गाँव की बातें कर रहे हैं उस गाँव की भाषा ही लोग सुनना चाहेगा ! DrLakshman Jha Parimal