फूलों की वर्षा

दिल बना मजबूत लोहा,ठोकरें खाकर जनाब।
अब घनों के वार भी फूलों की वर्षा से लगें।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
पं बृजेश कुमार नायक
● उक्त पंक्तियों को मेरी कृति/काव्यसंग्रह “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” के द्वितीय संस्करण में भी पढ़ा जा सकता है।
●पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाए कृति का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।