जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
जिंदगी को रोशन करने के लिए
कुछ अच्छा करने की चाहत है
गुमराह जिंदगी में अब चाह है किसे
*सब से महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
कुछ
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
उम्मीदें लगाना छोड़ दो...
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए