पहाड़ पर बरसात
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पहाड़ों में है वो सुंदर नज़ारे
जिनको देखने आते हैं पर्यटक
देखकर हरियाली यहां की
नज़र सबकी जाती है अटक
बारिश की बूँदें सुकून देती है गर्मी से
इस मौसम में आकर यहां पर
रहना पड़ता है संभलकर लेकिन
जब पड़ती है तेज़ बरसात यहां पर
हमने देखा है आजकल
प्राकृतिक छटा इन पहाड़ों की
कब बदलकर बन जाती है
गवाह बड़ी त्रासदियों की
सुंदर झरना भाता है हमको
अपने पास बुलाता है हमको
हो जाए अगर तेज़ बारिश, फिर
विकराल रूप दिखा जाता है हमको
चंद पलों में मौत का तांडव
हर कहीं नाले प्रकट होते हैं
फिर मच जाता है कोहराम
जब नाले नदी प्रतीत होते हैं
बहा जाते हैं जो भी आए राह में
इंसान, पशु और फिर क्या मकान
राह बना लेता है पानी बाज़ार से
छोड़ता नहीं कोई ढाबा या दुकान
देखकर पानी में बहती गाड़ियाँ
सहमकर रह जाता है हर कोई
चिंता में डूब जाता है हर परिवार
है बाहर जिसका अपना कोई
वेग देखकर पानी का हर कोई हैरान
सड़कों का मिट जाता है नामोनिशान
दिखता नहीं कुछ भी विनाश के सिवा
मेरे रब! क्यों लेता है ऐसे इम्तिहान।