Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2021 · 4 min read

पहाड़ी भाषा काव्य ( संग्रह )

1. पहाड़ों में पहाड़ हबै ले मजबूत
पहाड़ों में पहाड़ हबै ले मजबूत, क्षू मयर पहाड़ी ईजा
सुरज हबै ले जौ पाली, उठ जी यस छू मयर ईजा
गोर, बकर,बलद, सबूक, धयान रखी मयर ईजा
आप लिजि खाल भान, हमूग, पेट, भर बै दि मयर ईजा
बाजुयक हबै चोर बै,पैस दि हमगु मयर ईजा
आप लिजि खाली हाथ, हमें लिजि बैग भर लि मयर ईजा
कभत जंगल, कभत खेत
दिन भर काम पै लाग रि मयर ईजा
कभत हाथम दातूल, कभत कूटव
मूनवम जैक हमेशा बवज रू, यस छू मयर ईजा
आपण दुखम रबेर, हमार सूख खयाल धरि मयर ईजा
हमार लिजि भगवान जो,मागी, यस छू मयर ईजा
चयल, चैल, में जो भेदभाव,नि धरन यस छु मयर ईजा
ममता, बलिदान, जिमैदारी, मूरत छु मयर ईजा
आपु लिजि पतझड़ हमें लिजि दिवाई त्योहार छू मयर ईजा
पहाड़ों में पहाड़ हैबे ले मजबूत छू मयर ईजा ।

2. मयर पहाड़ में ऐक गों यस हुक्षि
मयर पहाड़ में ऐक गों यस हुक्षि
कें खारि -धार कें बनगार हुक्षि
आर -पार ओर कनकेधार हूक्षि
बिच- बिचम नरेगार हूक्षि
कें चीण,कें बाखय कें गवार, हुक्षि
नानतिनाक खेलणक बहार हुक्षि
मयर पहाड़ में ऐक गों यस हुक्षि ।
गों में लौंड,लछि, बिरि, गोपि, परि हुक्षि
आम, आड़, काकड़ सबुक खाणक बहार हुक्षि
सबुक आपण ऐक देवी थान हुक्षि
नाम ताल भितेर माल भितेर हुक्षि
माटक लिपि हमार मकान हुक्षि
हाटक सायर, खानखेत, कोंरा हुक्षि
कभत ज्ञय, कभत भकारम धान हूक्षि
मयर पहाड़ में ऐक गों यस हुक्षि ।
कें गोलूक,कें कत्यूरक, कें काईका थान हुक्षि
पाथरक बनि हमार मकान हुक्षि
को रिखार, कौ चीण, को आर-पार बटि उक्षि
ब्या काजूमा, सबूक दगे मिलणक बहार हुक्षि
ना क्षू अब ऊ रौनक ना रंगत
मयर पहाड़ में, ऐक गौं, यस हुक्षि ।

3. मयर पहाड़क सब लोग परदेश लघी
मयर पहाड़क सब लोग परदेश लघी
आम, बूब, मै, बाप, हमार घरपन रगि
मयर पहाड़क सब नानतिन परदेश लघि
ना क्षु केंय भल होसपिटल, ना स्कूल
ना पहाडौ में रोजगार रगी
बचि कुचि, नेता हमार लुट बै लीहीलेगी
पहाड़ो में जाग-जाग शराब,जू, कारौबर हैगो
सूरज असत पहाडी़ मस्त यस सबूक रटन हैगौ
मयर पहाड़क सब लोग परदेश लघि ।
जा हूक्षि घर खेत -खलियान
ऊ सब बंजर हैगी
कें जंगली सुअर, कें बंदर, हैगी
त्योहार हमार सब यू धरिय रगि
जब बटि नानतिन हमार परदेश लघि
आल, पिनाव, गढेयर, सब यादो में रगी
पहारौ में मकान बचि दू-चार रगि
मयर पहाड़क सब लोग परदेश लघि
बूजुरग पहार नाम, हमार स्वर्ग धर गि
बिना परदेस जाईय यस काम कर गयी ।

4. मयर पहाड़ बटी, सब शहर लहैगी
मयर पहाड़ बटी, सब शहर लहैगी
बूजूरगू मकान हमार सब खंडर हैगी
ना क्षु अब ताल बखय, ना माल बखय
कैक ऐ मकान दिवार, कैकअ टुटी दरवाज रैगी
मयर पहार बटी, सब शहर लहैगी ।
नैताऔक पहाड़म पलायन रौकौ
सब पलान किताबम धरय रैगी
कौ हलदवाणीं, तो को दिलीही लहैगी
जो क्षि दो-चार लोग समझदार
ऊ सब शहर लहैगी
अब दोस्तो,- पहारम सिर्फ गरीब ऐ रगी
मयर पहार बटी, सब शहर लहगी ।
ना क्षु अब मनुअ रवट, न जो भात
खेत हमार सब धिरे-धिरे बंजर हैगी
पहारम शिक्षित, लोग कम रैगी
ठुल, नानतिन, सब हमार नशम रैगी
मयर पहार बटि सब शहर लहैगी ।

5. मयर पहार में बचपन दिन यस हुक्षि
मयर पहार में बचपन दिन यस हुक्षि
ईजक बनाई सारिक, धोतिक, रजाई हुक्षि
दुध,ठंड पाण, मनूअक रवट खाक्षि
गालिस सूराव पहन बे मोज सकूल जाक्षि
मयर गोंक पहार, बचपन यस हुक्षि ।
जितु मासप डरल, लाइन में सबहू हबै पिक्षार हूक्षी
गरमीम रातियक, तौ सरदियम खबेर सकूल हुछी
सबुक आपण, ऐक, ऐक दगरी हुक्षि,
कैक नाम, परि, तौ केक नाम हरी, बिरी हुक्षि
मयर पहाड़ में, बचपन दिन यस हुक्षि ।
को आर को पार को कनकेधार बटी उक्षि
कभत खारि धार, तो कभत बनगार हुक्षि
सबूक पास आपण गोर बकार हूक्षि
केक नाम बिनू केक ललु, हुछि
खेलम कंची, गुक्षि हुक्षि,
कभत गोरुव गाव, तो कभत चिण बाखय हुक्षि
मयर दगरिया दगै, बिताय,
मयर गों में बचपन दिन यस हुक्षि ।

6. चलो आमा,चलो बुबु
चलो आमा,चलो बुबु,
नानतिनागू लिभै हिटौ पहाड़
य गरमी मैं घुम आल
आपण गों, आपण पहाड़
दैख आला कुर, बाड़ आपण
हटे आला लागि ताव, व मकरूवक जाल
चलो दादी, चलौ बौजी
य बार हिटौ पहाड़ भेट आला
आपण औस, परोषग
धैय, दैवी थान लिप आला
य जीवन में कदू (कितना) कमाय, कदू खाय
फिर लै नि हय भरपाई
चलौ दिदी चलो भुला
य बार हिटौ आपण गौं, आपण पहाड़
ईज छू, बाजु क्षि, काक, काकि क्षि,
दिल बटि रिशत निभुणि वा बहार क्षू
चलो दगरियौ य बार हिटो पहाड़
घर अबै,जला ओर, पोर, और गवार
पि आला चहा, व नहक ठंड पाण
कहणि कौला पैला कहणि कोला जुजा
चलौ आमा, चलो बूब,
य बार हिटौ पहाड़ ।

7. मयर दिल मयर टूकर छु मयर पहार
मयर दिल मयर टूकर छु मयर पहार
हमर, बुजर्गों धरौहर छु य मयर पहार
परदेशम रबेर बहत जौ याद ऊ मिगि
यस रंग, बिरगौ छू हमार पहार
मयर दिलक मयर टूकर छू मयर पहाड ।
कोयलक कू कू, घूघत घू घु, छु मयर पहाड
बगवाई कोतिक, हरी भरी खेत,खलियान
वाल छु मयर पहार
आमा, बूबु, दिदी भुला, रिशतै नातक छू मयर पहाड
बाखय, गवार, डाही, नामु वाल छू मयर पहार
मयर दिलक टूकर छु मयर पहाड ।
देव दयापत, रूणी, जाग छू मयर पहाड
ईगी समाय बे धरिया, मयर गों, परदेश, लौगो
हमर सबूक दिल टूकर छू हमर पहाड ।

8. जय मेरी मैया काली हौ
जय मेरी मैया काली हौ,
ऊंचे ऊंचे पहाड़ों में तेरा निवासा हो ।
भूमि देवी मैया तुम,
एक हाथ में खड़ग,
एक हाथ में ढाला हो ।
जय मेरी मैया काली हौ !
मैया जी अवतार तुम,
करक्षा कत्यूरक दैव रखवाली हौ ।
गौं-गों, घर -घर लिक्षा तुम अवतार हौ,
जय मेरी मैया काली हौ !
जोरि क्षि तमर चरणों में हाथ हौ,
धर दिया, य बिष्ट लाज हो ।
जय मेरी मैया काली हौ !

1 Like · 401 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

Books from श्याम सिंह बिष्ट

You may also like:
चाय जैसा तलब हैं मेरा ,
चाय जैसा तलब हैं मेरा ,
Rohit yadav
दोहा
दोहा
प्रीतम श्रावस्तवी
आत्मीय मुलाकात -
आत्मीय मुलाकात -
Seema gupta,Alwar
विचारों की अधिकता लोगों को शून्य कर देती है
विचारों की अधिकता लोगों को शून्य कर देती है
Amit Pandey
मुझे न कुछ कहना है
मुझे न कुछ कहना है
प्रेमदास वसु सुरेखा
आपात स्थिति में रक्तदान के लिए आमंत्रण देने हेतु सोशल मीडिया
आपात स्थिति में रक्तदान के लिए आमंत्रण देने हेतु सोशल मीडिया
*Author प्रणय प्रभात*
खुदा के वास्ते
खुदा के वास्ते
shabina. Naaz
वक्त कब लगता है
वक्त कब लगता है
Surinder blackpen
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
Shashi kala vyas
बाल चुभे तो पत्नी बरसेगी बन गोला/आकर्षण से मार कांच का दिल है भामा
बाल चुभे तो पत्नी बरसेगी बन गोला/आकर्षण से मार कांच का दिल है भामा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
उमेश शुक्ल के हाइकु
उमेश शुक्ल के हाइकु
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
खामोशी की आहट
खामोशी की आहट
Buddha Prakash
Best ghazals of Shivkumar Bilagrami
Best ghazals of Shivkumar Bilagrami
Shivkumar Bilagrami
जीवन का फलसफा/ध्येय यह हो...
जीवन का फलसफा/ध्येय यह हो...
Dr MusafiR BaithA
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
💐प्रेम कौतुक-356💐
💐प्रेम कौतुक-356💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सफलता की जननी त्याग
सफलता की जननी त्याग
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दलित के भगवान
दलित के भगवान
Vijay kannauje
*नदी नहीं है केवल गंगा, देवलोक का गान है (गीत)*
*नदी नहीं है केवल गंगा, देवलोक का गान है (गीत)*
Ravi Prakash
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुझे अधूरा ही रहने दो....
मुझे अधूरा ही रहने दो....
Santosh Soni
"नशा इन्तजार का"
Dr. Kishan tandon kranti
शायर अपनी महबूबा से
शायर अपनी महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
मुजरिम करार जब कोई क़ातिल...
मुजरिम करार जब कोई क़ातिल...
अश्क चिरैयाकोटी
आकाश के नीचे
आकाश के नीचे
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
मन की भाषा
मन की भाषा
Satish Srijan
करते तो ख़ुद कुछ नहीं, टांग खींचना काम
करते तो ख़ुद कुछ नहीं, टांग खींचना काम
Dr Archana Gupta
चाय की दुकान पर
चाय की दुकान पर
gurudeenverma198
Rap song (1)
Rap song (1)
Nishant prakhar
फिर मिलेंगे
फिर मिलेंगे
साहित्य गौरव
Loading...