पहले जैसे रिश्ते अब क्यों नहीं रहे
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उसने पूछा,पहले जैसे रिश्ते अब क्यों नहीं रहे ?
मैने भी कहां,पहले जैसे आदमी अब कहां रहे।।
उसने पूछा,घरों में खिड़कियां बनना बंद क्यों हो गई ?
मैने कहां,अब पड़ोस में झांकने वाले कहां रह गए।।
उसने कहा,बहला न पाएंगे उसे अब मिट्टी के खिलौने।
मैने कहां,जनता हूं मै ,अब तुम बच्चे नही रह गए।।
उसने कहां,तेरी मोहब्बत के चिराग इतने अंधेरे में जले।
मैने कहां,मेरी मोहब्बत में अब कोई अंधेरे नही रहे।।
उसने कहां,ढूंढती रही मै तुम्हे अपने प्यार के खातिर सब जगह।
मैने कहां, जिन पर लगे थे निशान वे अब नक्शे नही रहे।।
उसने कहां,वादे पर वादे करते रहे मुझे तुम बहकाते रहे।
मैने कहां,मेरी जेब में झूठे सच्चे वादे अब कहां रहे।।
उसने कहां,बरसात होती रही मै प्यास से मरती रही।
मैने पूछा क्या तुम मेरी हर बूंद से प्यास बुझाती रही।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम