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9 Aug 2016 · 1 min read

पत्थर दिल

लोग कहते हैं मुझे पत्थर दिल

जिन्दा तो हूँ पर जीवन रहित

अब ये सच लगता है मुझे भी

डरने लगी हूँ अपनी ही परछाई से भी

टकरा कर छोटे बड़े पाषाणों से

पत्थर सा दिखने लगा है ये तन

खाकर इनसे ठोकरें बार बार

टूट सा गया है ये मन

पर सच तो है ये भी

न हो भले ही पत्थर में जीवन

पर टकराते है जब वो आपस में

दे देते हैं संगीतमय तरंग

तराशे जाते हैं

जब सधे हाथों से

भर जाता है सौंदर्य से

इनका कण कण

हाँ मैं भी हूँ ऐसी ही पत्थर दिल

जिसमें प्राण भी है और जीवन भी

संगीत भी है और सौंदर्य भी

बस तराशने वाला कोई जाये मिल

– डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
4 Comments · 579 Views
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