* न मुझको चाह महलों की, मुझे बस एक घर देना 【मुक्तक 】*
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* न मुझको चाह महलों की, मुझे बस एक घर देना 【मुक्तक 】*
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न मुझको चाह महलों की, मुझे बस एक घर देना
लगे जब भूख तो खाना, मुझे तय वक्त पर देना
गिरूँ भी तो सँभल कर फिर, शुरू कर पाऊँ मैं चलना
सुहानी जिंदगी का ऐसा, ऐ मालिक ! सफर देना
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451