Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2023 · 1 min read

नैन फिर बादल हुए हैं

नैन फिर बादल हुए हैं ।

क्या निहारूँ फूल झरते
गंध को बेमौत मरते
लुट गए हैं पर्ण सारे
रंग भी काजल हुए हैं ।

नैन फिर बादल हुए हैं ।

छल कहाँ विश्राम लेते
दर्द आठों याम देते
मौनमुख कबतक न बोले
प्राण भी पागल हुए हैं ।

नैन फिर बादल हुए हैं ।

क्या मिला विष को पचाकर
कैर को चंदन बनाकर
क्षत रही वंशी हँसी की
हत सुखद मादल हुए हैं l

नैन फिर बादल हुए हैं ।

अशोक दीप
जयपुर
8278697171

Language: Hindi
98 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"जून की शीतलता"
Dr Meenu Poonia
मुस्कानों की परिभाषाएँ
मुस्कानों की परिभाषाएँ
Shyam Tiwari
"ख़्वाहिशों की दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
यशोधरा
यशोधरा
Satish Srijan
Almost everyone regard this world as a battlefield and this
Almost everyone regard this world as a battlefield and this
नव लेखिका
इश्क़ में
इश्क़ में
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*ले औषधि संजीवनी, आए रातों-रात (कुछ दोहे)*
*ले औषधि संजीवनी, आए रातों-रात (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
ख़ुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नहीं
ख़ुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नहीं
Anis Shah
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
dks.lhp
জীবনের অর্থ এক এক জনের কাছে এক এক রকম। জীবনের অর্থ হল আপনার
জীবনের অর্থ এক এক জনের কাছে এক এক রকম। জীবনের অর্থ হল আপনার
Sakhawat Jisan
जीवन के बुझे हुए चिराग़...!!!
जीवन के बुझे हुए चिराग़...!!!
Jyoti Khari
बोगेनविलिया
बोगेनविलिया
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
Er Sanjay Shrivastava
नज़रों में तेरी झाँकूँ तो, नज़ारे बाहें फैला कर बुलाते हैं।
नज़रों में तेरी झाँकूँ तो, नज़ारे बाहें फैला कर बुलाते हैं।
Manisha Manjari
बदले-बदले गाँव / (नवगीत)
बदले-बदले गाँव / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
किसी पत्थर पर इल्जाम क्यों लगाया जाता है
किसी पत्थर पर इल्जाम क्यों लगाया जाता है
कवि दीपक बवेजा
💐Prodigy Love-36💐
💐Prodigy Love-36💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपनी यही चाहत है_
अपनी यही चाहत है_
Rajesh vyas
“ हमारा फेसबूक और हमरा टाइमलाइन ”
“ हमारा फेसबूक और हमरा टाइमलाइन ”
DrLakshman Jha Parimal
कहीं पहुंचने
कहीं पहुंचने
Ranjana Verma
"कुछ अनकही"
Ekta chitrangini
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
चाहने लग गए है लोग मुझको भी थोड़ा थोड़ा,
चाहने लग गए है लोग मुझको भी थोड़ा थोड़ा,
Vishal babu (vishu)
इक मुलाक़ात किसी से हो
इक मुलाक़ात किसी से हो
*Author प्रणय प्रभात*
वो चांद देखता है जरूर ,
वो चांद देखता है जरूर ,
Harshit Nailwal
सालगिरह
सालगिरह
अंजनीत निज्जर
बुद्ध धम्म में चलें
बुद्ध धम्म में चलें
Buddha Prakash
केवल आनंद की अनुभूति ही जीवन का रहस्य नहीं है,बल्कि अनुभवों
केवल आनंद की अनुभूति ही जीवन का रहस्य नहीं है,बल्कि अनुभवों
Aarti Ayachit
सुख दुःख
सुख दुःख
विजय कुमार अग्रवाल
देर तक मैंने आईना देखा
देर तक मैंने आईना देखा
Dr fauzia Naseem shad
Loading...