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3 Dec 2022 · 1 min read

निकलते हो अब तो तुम

निकलते हो अब तो तुम, निगाहें हमसे चुराकर।
बनाकर आँचल को पर्दा, चेहरा उसमें छुपाकर।।
निकलते हो अब तो तुम—————–।।

मालूम किसको नहीं है, गली में तुम्हारा किस्सा।
रहते हो हमसे चुप अब, राज दिल में दबाकर।।
निकलते हो अब तो तुम—————-।।

भूल गए क्या वो पल,जो दिन बाँहों में बीते थे।
दिखाते हो अब तुम पवित्र, हाथ हमसे छुड़ाकर।।
निकलते हो अब तो तुम—————–।।

हमारे दिल- ओ- जिस्म से , खेले हो तुम बहुत।
खता तुमने तो की है, मोहब्बत हमारी भूलाकर।।
निकलते हो अब तो तुम—————–।।

मसीहा कौन मिल गया, जान तुमपे देने वाला।
करोगे बहुत याद हमको, दूजे को साथी बनाकर।।
निकलते हो अब तो तुम—————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
88 Views
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