इस धन दौलत के बंटवारे में
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
आज दिवस है इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
क्यों छोड़ चला यूंही मझधार में कन्हैया
"दोचार-आठ दिन की छुट्टी पर गांव आए थे ll
अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर ...
कभी ख्यालों में मुझे तू सोचना अच्छा लगे अगर ।
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
दिवाली क्यों मनाई जाती है?
गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे