Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Dec 2023 · 1 min read

चांद सी चंचल चेहरा 🙏

नारी न निराश करो मन को
अद्भूत नगीना देती जग को
सौन्दर्य सुंदरता कुदरत की

रंगभरी रंगगोली प्रकृति की
सुन्दर काया समुंदर माया
चंचल चंचला चाँद सी चेहरा

ममता दया करूणा की सागर
बोली वाणी सहज स्वभाव मधुर
अमृत कलश भरी रुहानी जीवन

पवित्र निर्मल मधु दूजे साथी
निश्चल निर्मल ना आना कानी
जगत सहारा बन जीवन रेखा

स्वर्ग सुख स्वप्न परी सी काया
जग भाते सुंदर मूरत तेरी माया
स्वर्ग उतरी नारी सुंदरता की देवी

मधुर मधु एक दूजे के साथी
क्लेस कपट हीन भावों से भरी
जग जन जीते नारी तेरे सहारे

नारी पवित्र आप पालनहारी
वंश ऋष्टि परंपरा रक्षाकारी
सत् नमन करता है प्राणी ।

Language: Hindi
235 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
View all

You may also like these posts

शेर अर्ज किया है
शेर अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
اور کیا چاہے
اور کیا چاہے
Dr fauzia Naseem shad
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बीहनि कथा-
बीहनि कथा-"अंडरवियर"
मनोज कर्ण
"बिना योग्यता के"
Dr. Kishan tandon kranti
गोपाल हूं मैं, काल भी
गोपाल हूं मैं, काल भी
Saransh Singh 'Priyam'
காதல் என்பது
காதல் என்பது
Otteri Selvakumar
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
समाज में परिवार की क्या भूमिका है?
समाज में परिवार की क्या भूमिका है?
Sudhir srivastava
4081.💐 *पूर्णिका* 💐
4081.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कविता
कविता
Rambali Mishra
कुछ ज़ख्म अब
कुछ ज़ख्म अब
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
बेजुबान तस्वीर
बेजुबान तस्वीर
Neelam Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
.
.
*प्रणय*
एहसास
एहसास
भरत कुमार सोलंकी
मुझसे  ऊँचा क्यों भला,
मुझसे ऊँचा क्यों भला,
sushil sarna
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जाने क्या-क्या सोचकर, ससुराल जाती बेटियाँ(गीतिका)*
*जाने क्या-क्या सोचकर, ससुराल जाती बेटियाँ(गीतिका)*
Ravi Prakash
श्री गणेश
श्री गणेश
विशाल शुक्ल
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
अहंकार
अहंकार
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बेटी का सम्मान
बेटी का सम्मान
surenderpal vaidya
मैं झूठा हूँ, भीतर से टूटा हूँ।
मैं झूठा हूँ, भीतर से टूटा हूँ।
Kirtika Namdev
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
सत्य कुमार प्रेमी
सफ़र
सफ़र
Shashi Mahajan
सागर ने जब जब हैं  हद तोड़ी,
सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,
Ashwini sharma
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
बार-बार लिखा,
बार-बार लिखा,
Priya princess panwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Deepesh Dwivedi
Loading...