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3 Apr 2017 · 1 min read

नाम है बस दीप का

जल रही बाती यहाँ पर
नाम है बस दीप का

आ गयी दीपावली फिर,
आस लेकर इक नयी
एक कपड़े के लिए बस,
आज मुनिया रो गयी
देखती है रास्ता वह,
साहबों की जीप का

फाइलों में सज रही हैं,
अर्जियाँ हर दीन की
कौन सुनता है यहाँ पर
धुन पुरानी बीन की

दाम है मुश्किल चुकाना
आफिसों में टीप का

बूँद कोई आ गगन से
रेत में ही खो गयी
सीप ने जिसको सँभाला
एक मोती हो गयी

मोतियों ने कब है’ समझा
मूल्य अपनी सीप का

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 346 Views

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