Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2016 · 1 min read

नयन में उतर जाओ

मुक्तक
नयन के द्वार से आकर मे’रे उर में उतर जाओ।
महक बन प्रेम के गुल की हृदय में तुम बिखर जाओ।
सकल – जग- प्राणियों में बिंब तेरा ही दिखे प्रतिपल।
नजर में सत्य की कोई कन्हैया दीप्ति कर जाओ।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ, सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
265 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
View all

You may also like these posts

कदम बढ़े  मदिरा पीने  को मदिरालय द्वार खड़काया
कदम बढ़े मदिरा पीने को मदिरालय द्वार खड़काया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिंदगी गुज़र जाती हैं
जिंदगी गुज़र जाती हैं
Neeraj Agarwal
लगाया करती हैं
लगाया करती हैं
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
sushil yadav
कजलियों की राम राम जी 🙏🙏🎉🎉
कजलियों की राम राम जी 🙏🙏🎉🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
तबियत बदलती है
तबियत बदलती है
Kunal Kanth
शाकाहार स्वस्थ आहार
शाकाहार स्वस्थ आहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*इतने दीपक चहुँ ओर जलें(मुक्तक)*
*इतने दीपक चहुँ ओर जलें(मुक्तक)*
Ravi Prakash
पत्नी या प्रेमिका
पत्नी या प्रेमिका
Kanchan Advaita
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
आर.एस. 'प्रीतम'
सृजन तेरी कवितायें
सृजन तेरी कवितायें
Satish Srijan
पुरखा के बदौलत
पुरखा के बदौलत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
इश्क
इश्क
shreyash Sariwan
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
#शेर-
#शेर-
*प्रणय*
मां की ममता
मां की ममता
Shutisha Rajput
मणिपुर कांड
मणिपुर कांड
Surinder blackpen
संवेदनशील हुए बिना
संवेदनशील हुए बिना
Shweta Soni
विचार और रस [ दो ]
विचार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
दीप जले
दीप जले
Nitesh Shah
आँख मिचौली जिंदगी,
आँख मिचौली जिंदगी,
sushil sarna
उम्रभर
उम्रभर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
Rajesh Kumar Arjun
2526.पूर्णिका
2526.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
“साजन”
“साजन”
DrLakshman Jha Parimal
अच्छा नही लगता
अच्छा नही लगता
Juhi Grover
रामजी का कृपा पात्र रावण
रामजी का कृपा पात्र रावण
Sudhir srivastava
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
Sonam Puneet Dubey
Loading...