Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2017 · 1 min read

नमक

दाल में
चुटकी भर नमक की
घट- बढ़,
पल में पहचान लेते हो तुम…

फिर क्यों
जीवन भर साथ रहकर भी
नहीं पहचान पाते तुम
मेरे आंसुओ का
नमक।

मंजूषा मन

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 2 Comments · 456 Views
You may also like:
*समय कभी अनुकूल है, समय कभी प्रतिकूल (कुछ दोहे)*
*समय कभी अनुकूल है, समय कभी प्रतिकूल (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
✍️चीते की रफ़्तार
✍️चीते की रफ़्तार
'अशांत' शेखर
जितना लफ़्ज़ों में
जितना लफ़्ज़ों में
Dr fauzia Naseem shad
जो मैंने देखा...
जो मैंने देखा...
पीयूष धामी
[ पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य ] अध्याय २.
[ पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य ] अध्याय २.
Pravesh Shinde
टीवी मत देखिए
टीवी मत देखिए
Shekhar Chandra Mitra
हम पत्थर है
हम पत्थर है
Umender kumar
💐प्रेम कौतुक-240💐
💐प्रेम कौतुक-240💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रहो नहीं ऐसे दूर तुम
रहो नहीं ऐसे दूर तुम
gurudeenverma198
आसमानों को छूने की जद में निकले
आसमानों को छूने की जद में निकले
कवि दीपक बवेजा
मेरे सपने
मेरे सपने
सूर्यकांत द्विवेदी
लहज़ा गुलाब सा है, बातें क़माल हैं
लहज़ा गुलाब सा है, बातें क़माल हैं
Dr. Rashmi Jha
एक - एक दिन करके यूं ही
एक - एक दिन करके यूं ही
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिन्दगी एक तमन्ना है
जिन्दगी एक तमन्ना है
Buddha Prakash
■ आज का कटाक्ष...
■ आज का कटाक्ष...
*Author प्रणय प्रभात*
कभी आधा पौन कभी पुरनम, नित नव रूप निखरता है
कभी आधा पौन कभी पुरनम, नित नव रूप निखरता है
हरवंश हृदय
जीवन आनंद
जीवन आनंद
Shyam Sundar Subramanian
"शाश्वत"
Dr. Kishan tandon kranti
भूत प्रेत का भय भ्रम
भूत प्रेत का भय भ्रम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वफ़ा मानते रहे
वफ़ा मानते रहे
Dr. Sunita Singh
भूल जाते हो
भूल जाते हो
shabina. Naaz
सुबह सुहानी आपकी, बने शाम रंगीन।
सुबह सुहानी आपकी, बने शाम रंगीन।
आर.एस. 'प्रीतम'
Tumhari khahish khuch iss kadar thi ki sajish na samajh paya
Tumhari khahish khuch iss kadar thi ki sajish na samajh...
Sakshi Tripathi
ये लखनऊ है ज़नाब
ये लखनऊ है ज़नाब
Satish Srijan
# महुआ के फूल ......
# महुआ के फूल ......
Chinta netam " मन "
एक ही निश्चित समय पर कोई भी प्राणी  किसी के साथ प्रेम ,  किस
एक ही निश्चित समय पर कोई भी प्राणी किसी के...
Seema Verma
" बहुत बर्फ गिरी इस पेड़ पर
Saraswati Bajpai
न रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
न रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
सत्य कुमार प्रेमी
इतनी उदासी और न पक्षियों का घनेरा
इतनी उदासी और न पक्षियों का घनेरा
Charu Mitra
भूल जाना आसान नहीं
भूल जाना आसान नहीं
Surinder blackpen
Loading...