करता नहीं यह शौक तो,बर्बाद मैं नहीं होता
संभव है कि किसी से प्रेम या फिर किसी से घृणा आप करते हों,पर
तन्हाई बिछा के शबिस्तान में
बिन परखे जो बेटे को हीरा कह देती है
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
कभी-कभी हम निःशब्द हो जाते हैं
बुंदेली दोहा - सुड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बहुत उम्मीदें थीं अपनी, मेरा कोई साथ दे देगा !
डिप्रेशन कोई मज़ाक नहीं है मेरे दोस्तों,
आजकल गरीबखाने की आदतें अमीर हो गईं हैं
बोलो क्या कहना है बोलो !!