Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Nov 2016 · 1 min read

माधव इस संसार में

माधव इस संसार में
तरह तरह के लोग ,
कुछ माया में हैं रमे
कुछ का जीवन योग ।

जो सत्कर्म में निरत हुए
उनका जीवन योग ,
जो माया में खोए हुए
उनका जीवन भोग ।

माया में न रम बंदे
हाथ कुछ न आएगा ,
कर्म पथ पर चलने से
नाम अमर पाएगा ।

कर्मपथ ही एक सुपथ है
इतना बस जान लो ,
नैया पार हो जाएगी
कहना यह मान लो ।

श्याम बेड़ा पार करो
बात यही मान ली ,
चलना है बस सुपथ पर
मन में है ठान ली ।

डॉ रीता
आया नगर , नई दिल्ली- 47

Language: Hindi
1 Like · 562 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all

You may also like these posts

सिलवटें
सिलवटें
Vivek Pandey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Dr Archana Gupta
जब भी कलम उठाती हूं,
जब भी कलम उठाती हूं,
sonu rajput
स्पर्श
स्पर्श
Kanchan Alok Malu
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183 के दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183 के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
खामोशी का रिश्ता
खामोशी का रिश्ता
Minal Aggarwal
" तारीफ़ "
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िन्दगी लाज़वाब,आ तो जा...
ज़िन्दगी लाज़वाब,आ तो जा...
पंकज परिंदा
आज़माइश कोई
आज़माइश कोई
Dr fauzia Naseem shad
शीर्षक: बाबुल का आंगन
शीर्षक: बाबुल का आंगन
Harminder Kaur
मैं निखर जाता हूँ
मैं निखर जाता हूँ
Ramji Tiwari
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ
अश्विनी (विप्र)
..
..
*प्रणय प्रभात*
राह का पथिक
राह का पथिक
RAMESH Kumar
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ख़ुद के लिए लड़ना चाहते हैं
ख़ुद के लिए लड़ना चाहते हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
वक्त से गुजारिश
वक्त से गुजारिश
ओनिका सेतिया 'अनु '
पानी से पानी पर लिखना
पानी से पानी पर लिखना
Ramswaroop Dinkar
प्रीति
प्रीति
Rambali Mishra
तुम सही थीं या मैं गलत,
तुम सही थीं या मैं गलत,
Lohit Tamta
3315.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3315.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
मैं अलग हूँ
मैं अलग हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
सत्ता काण्ड का प्रारम्भ
सत्ता काण्ड का प्रारम्भ
Arun Prasad
महाशिवरात्रि-पर्व!
महाशिवरात्रि-पर्व!
Prabhudayal Raniwal
तुम बहुत पसंद आए थे हमें
तुम बहुत पसंद आए थे हमें
शिव प्रताप लोधी
*अयोध्या*
*अयोध्या*
Dr. Priya Gupta
कविता कीर्तन के है समान -
कविता कीर्तन के है समान -
bharat gehlot
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
Ravi Prakash
जब काँटों में फूल उगा देखा
जब काँटों में फूल उगा देखा
VINOD CHAUHAN
Loading...