प्रेम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बेरोजगारी मंहगायी की बातें सब दिन मैं ही दुहराता हूँ, फिरभ
चंद्रकक्षा में भेज रहें हैं।
प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ
गुम सूम क्यूँ बैठी हैं जरा ये अधर अपने अलग कीजिए ,
*सीमा की जो कर रहे, रक्षा उन्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
जो वक्त से आगे चलते हैं, अक्सर लोग उनके पीछे चलते हैं।।
बच्चे ही मां बाप की दुनियां होते हैं।
ख़ुद को हमारी नज़रों में तलाशते हैं,
*वो एक वादा ,जो तूने किया था ,क्या हुआ उसका*
हिंदीग़ज़ल की गटर-गंगा *रमेशराज
बिटिया घर की ससुराल चली, मन में सब संशय पाल रहे।
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
बाल कविता: मुन्नी की मटकी
******गणेश-चतुर्थी*******
*शुभ रात्रि हो सबकी*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑