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13 Feb 2022 · 1 min read

देश के कण कण में उनके गीत

बचपन से संगीत था भाया
सूर ताल थीं उनकी आराध्या
धरा की सरस्वती थीं
संगीत की अधिष्ठात्री थीं

पुत्री थीं वो वाणी की
साधक थीं वो संगीत की
रग रग में संगीत समाया था
जीवन को संगीतमय बनाया था

सूरज की पहली किरण में
कल कल बहती धारा में
मंद मंद बहते वयार में
गीत उन्ही के रचते थे

संगीत ही थे उनके साथी
सूर ताल मन के मीत
संतान सदृश दुलारती थीं
गीत संग प्रेम, उनकी थी अपरिमित

घर घर की थीं वो सदस्या
घर घर सुने जाते उनके गीत
संगीत प्रेमी की हैं पूज्या
हृदय में अनंत तक रहेंगे उनके गीत

स्वयं कंठ में आसीन थीं सरस्वती
वाणी जब स्वर लहरियां सुनाती थीं
ब्रह्मांड भी तन्मय हो सुनते थे
अतुल्य, अद्वितीय हैं सभी मानते थे

देश के कण कण में उनके गीत
अनंत काल तक अमर रहें
चिर काल तक श्रवण होते रहें स्वर
सदा ही गाते रहें अधर

स्वर साम्राज्ञी,स्वर कोकिला
सदा ही अमर रहें संगीत की दुहिता
चिर निद्रा में सो गईं
नीर भर गईं नयनों में

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 4 Comments · 417 Views
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