Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2017 · 1 min read

देश का भविष्य

देश का भविष्य

एक युवा अधेड उम्र शख्श
अपनी पत्नी बच्चों सहित
सडक़ पर था घुम रहा
दशा उसकी थी दयनीय
उस शख्श का यह हुलिया
उसका भेद था बता रहा।
नीचे बांधी थी लूंगी
छाती पर लपेटे था चुनिया
एक कांधा था खाली
दुजे पर शायद
उसका बिस्तर कंबल था।
पैरों में टुटे से लीत्तर
बाल पडे थे तीतर-बीतर
चौड़ा सीना छलकता हुआ।
आँचल से साफ दिखाई देता
शर्मोलाज का पर्दा कभी
ईधर से ऊधर सरक जो जाता।
फि र उसकी पत्नी भी जैसे
जो शायद अधेड उम्र थी
छ: बच्चों सहित वह
ईधर से ऊधर भटक रही थी ।
बच्चे भी बंदरों की भाँति
आगे पिछे घुम रहे थे।
कभी ईधर तो कभी ऊधर
भाग कर कागज चुग रहे थे।
बडे की उम्र शायद ?
पन्द्रह-सोलह साल रही होगी
ओर छोटा इतना छोटा
जिसको दुध पिला रही थी।
बच्चे सारे नंग धडंग
सिवाय कच्छे के कुछ न पहना
सारे बच्चे देश का भविष्य।
आज देश का भविष्य देखो
सडकों पर कागज चुग रहा है।
कहते हैं देखो आज भी
दिन दुनी और रात चौगुनी
देश अच्छी तरक्की कर रहा है।
जब देश का भविष्य ही आज
सडक़ों पर कागज बीन रहा है
तो देश भला फिर क्या ?
खाक तरक्की कर रहा है ।
ऐसी तरक्की से तो बढिया
ना तरक्की ही अच्छी है ।
-0-
नवल पाल प्रभाकर

Language: Hindi
375 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गर भिन्नता स्वीकार ना हो
गर भिन्नता स्वीकार ना हो
AJAY AMITABH SUMAN
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
VEDANTA PATEL
"ले जाते"
Dr. Kishan tandon kranti
सफ़ेद चमड़ी और सफेद कुर्ते से
सफ़ेद चमड़ी और सफेद कुर्ते से
Harminder Kaur
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
The Misfit...
The Misfit...
R. H. SRIDEVI
आप जब खुद को
आप जब खुद को
Dr fauzia Naseem shad
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
माटी
माटी
AMRESH KUMAR VERMA
वाचाल सरपत
वाचाल सरपत
आनन्द मिश्र
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
VINOD CHAUHAN
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
देश के वासी हैं
देश के वासी हैं
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
सत्य कुमार प्रेमी
2388.पूर्णिका
2388.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
पूर्वार्थ
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
Dheerja Sharma
इस्लामिक देश को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी देश के विश्वविद्या
इस्लामिक देश को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी देश के विश्वविद्या
Rj Anand Prajapati
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
Shweta Soni
ज्ञान के दाता तुम्हीं , तुमसे बुद्धि - विवेक ।
ज्ञान के दाता तुम्हीं , तुमसे बुद्धि - विवेक ।
Neelam Sharma
हर मोड़ पर कोई न कोई मिलता रहा है मुझे,
हर मोड़ पर कोई न कोई मिलता रहा है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
Ashwini sharma
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
Phool gufran
I met Myself!
I met Myself!
कविता झा ‘गीत’
हौसला
हौसला
डॉ. शिव लहरी
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
🙅सनद रहै🙅
🙅सनद रहै🙅
*प्रणय प्रभात*
Loading...