Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2023 · 1 min read

दशहरा

आज पर्व है असत्य पर सत्य की विजय का
रावण पर राम की विजय का
दानवों और दैत्य पर देवी दुर्गा विजय का
समय का चक्र चलता रहता है
कल का किसी को पता नही
यह जीवन एक सपना है
मानव जो हमेशा देखता है
सोते और जागते हुए
आज पर्व है असत्य पर सत्य की विजय का
आज प्रण करे सत्य आचरण का
धर्म की रक्षा करने का
मानव मात्र की सेवा करने का
मानव की सेवा ही ईश्वर सेवा है
यह दिन बार बार आये
खुशियाँ जीवन में लाये
‘अजुम’ आओ खुशी से दशहरा मनाये
देश को समृद्ध बनाये

नाम-मनमोहन लाल गुप्ता
पता-मोहल्ला जाब्तागंज, नजीबाबाद, जिला बिजनौर, यूपी
मोबाइल नंबर-9152859828

1 Like · 350 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
2517.पूर्णिका
2517.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
Neelam Sharma
गीत
गीत
सत्य कुमार प्रेमी
किरदार हो या
किरदार हो या
Mahender Singh
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Surya Barman
दुआएं
दुआएं
Santosh Shrivastava
कमियाॅं अपनों में नहीं
कमियाॅं अपनों में नहीं
Harminder Kaur
शब्द अनमोल मोती
शब्द अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
अन्तर्मन की विषम वेदना
अन्तर्मन की विषम वेदना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ज़िंदगी देख
ज़िंदगी देख
Dr fauzia Naseem shad
अर्थ में प्रेम है, काम में प्रेम है,
अर्थ में प्रेम है, काम में प्रेम है,
Abhishek Soni
Dr अरूण कुमार शास्त्री
Dr अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भरत मिलाप
भरत मिलाप
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
शेखर सिंह
तुम बस ज़रूरत ही नहीं,
तुम बस ज़रूरत ही नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
"परखना सीख जाओगे "
Slok maurya "umang"
#व्यंग्य-
#व्यंग्य-
*प्रणय प्रभात*
മനസിന്റെ മണ്ണിചെപ്പിൽ ഒളിപ്പിച്ച നിധി പോലെ ഇന്നും നിന്നെ ഞാൻ
മനസിന്റെ മണ്ണിചെപ്പിൽ ഒളിപ്പിച്ച നിധി പോലെ ഇന്നും നിന്നെ ഞാൻ
Sreeraj
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
Rj Anand Prajapati
जो हो इक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता
जो हो इक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता
पूर्वार्थ
किताब कहीं खो गया
किताब कहीं खो गया
Shweta Soni
वतन में रहने वाले ही वतन को बेचा करते
वतन में रहने वाले ही वतन को बेचा करते
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मन से चाहे बिना मनचाहा नहीं पा सकते।
मन से चाहे बिना मनचाहा नहीं पा सकते।
Dr. Pradeep Kumar Sharma
टूटे पैमाने ......
टूटे पैमाने ......
sushil sarna
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
Rituraj shivem verma
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कविता -नैराश्य और मैं
कविता -नैराश्य और मैं
Dr Tabassum Jahan
क्या कहुं ऐ दोस्त, तुम प्रोब्लम में हो, या तुम्हारी जिंदगी
क्या कहुं ऐ दोस्त, तुम प्रोब्लम में हो, या तुम्हारी जिंदगी
लक्की सिंह चौहान
"बिना योग्यता के"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...