Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2023 · 4 min read

*दल के भीतर दलबदलू-मोर्चा (हास्य व्यंग्य)*

दल के भीतर दलबदलू-मोर्चा (हास्य व्यंग्य)
=========================
अब समय आ गया है कि सभी दलों को अपने-अपने दलों के भीतर एक दलबदलू मोर्चा अथवा दलबदलू प्रकोष्ठ स्थापित करने पर विचार करना चाहिए । धीरे-धीरे सभी दलों में दलबदलुओं की अच्छी-खासी संख्या हो चुकी है । दलबदलू-बंधुओं की आवाज को पार्टी के भीतर आप कब तक दबा कर रख सकते हैं ? उनके भी सीने में दिल है, उनकी भी भावनाएं हैं ,इच्छाएं हैं । वह जो चाहते हैं और जिस प्रकार से चाहते हैं ,वह भावना खुलकर सामने आनी चाहिए ।
अगर दलबदलुओं को हमने हाशिए पर रखा अथवा उनको अपनी बात कहने का अवसर प्रदान नहीं किया तब भारतीय लोकतंत्र का एक बहुत बड़ा भाग अभिव्यक्ति की आजादी से वंचित हो जाएगा। मैं इसके खिलाफ हूं । पार्टियों में दलबदलू लोगों को यद्यपि बहुत सम्मान मिलता रहा है । वह एक घंटे के अंदर पार्टी में शामिल होते हैं और दूसरे घंटे में कैबिनेट मंत्री बना दिए जाते हैं । कई लोग तो सीधे-सीधे मुख्यमंत्री तक बन जाते हैं । सांसद और विधायकी के टिकट दलबदलुओं को अंदरखाने में बातचीत तय करके दिए जाते रहे हैं । सभी दलों में यह एक सामान्य सी बात है कि जब विधायकों की संख्या कम पड़ती है तब विधायकों का सरकार बनाने के लिए समर्थन लेने हेतु उनका दलबदल कराया जाना सबको पता है ।
अब दलबदल कोई इतनी बुरी चीज नहीं रह गई कि हम उसका नाम सुनते ही नाक-भौं सिकोड़ने लगें अथवा अपनी नाक पर रूमाल रख लें। आज अगर कोई कहे कि आप के बगल में खड़ा हुआ यह व्यक्ति एक अच्छा दलबदलू है ,तब कोई अप्रिय भाव कृपया मन में मत लाइए । बल्कि हो सके तो प्रसन्नता से पूछिए कि इस व्यक्ति को आपने अच्छा दलबदलू क्यों कहा ? इस प्रश्न का उत्तर इस प्रकार से मिल सकता है कि अमुक सज्जन बहुत ऊंचे दर्जे के दल बदलू हैं।आपने अनेक बार सफलतापूर्वक दलबदल किया है अर्थात आप जिस दल में दलबदल कर के गए हैं वहां पहुंचते के साथ ही आपको सरकार में पद मिला है तथा वह पार्टी चुनाव में विजयी हुई है ।
देखा जाए तो दलबदलूगण राजनीतिक मौसम की भविष्यवाणी करने में सबसे ज्यादा माहिर होते हैं । आम जनता भले ही हवा का रुख न समझे लेकिन दलबदलू राजनीतिक माहौल पर पैनी नजर रखते हैं । उनका अच्छा अंदाजा रहता है कि अब भविष्य में किसकी सरकार बनेगी। बस मौका देखते ही किसी दल में घुस जाते हैं।
यह लोग बात करने में इतने चिकने-चुपड़े और सौदेबाजी में इतने माहिर होते हैं कि दस-पाँच दिन में उस दल में अपनी गहरी पैठ बना लेते हैं । देखते ही देखते शीर्ष पर पहुंच जाते हैं । पार्टी के आदर्श महापुरुषों का जिंदाबाद का नारा यह दलबदलू जिस आत्मीयता के साथ लगाते हैं ,उसे देख कर पार्टी का बीस साल पुराना कार्यकर्ता भी शर्मिंदा हो जाए और सोचने लगे कि हाय ! हमने अभी तक अपने आदर्श महापुरुषों को ढंग से याद करना क्यों नहीं सीखा ?
दलबदलू मंच पर बैठता है और पार्टी को उसके आदर्शों तथा आदर्श-महापुरुषों के बारे में बताता है । वह सबको याद दिलाता है कि पार्टी के प्रति निष्ठा और वफादारी ही एक नेता का सबसे बड़ा धर्म है । सब लोग दलबदलू के मुखारविंद से निकलने वाले उपदेशों को शांतिपूर्वक सुनने के लिए विवश होते हैं ।
दलबदलू प्रकोष्ठ के बारे में मेरा मौलिक-विचार इसलिए है कि जैसे ही कोई दलबदलू पार्टी में आता है तब उस को सम्मानित करने के लिए तथा आत्मीयता का भाव उसमें जगाने के लिए उसे तुरंत दलबदलू-प्रकोष्ठ का नेता बनाया जा सकता है । दलबदलू प्रकोष्ठ का अध्यक्ष-उपाध्यक्ष आदि एक वर्ष के लिए बनाया जा सकता है। नया दलबदलू जब आएगा तो पुराने दलबदलू उससे गले मिलेंगे ,फूलमाला पहनाएंगे और कहेंगे कि अहा ! कितना स्वर्णिम अवसर आया है ! एक दलबदलू और पधारा ! दलबदलू-प्रकोष्ठ के अभाव में अनेक बार दलबदलुओं को अपेक्षित आत्मीय वातावरण पार्टी के भीतर नहीं मिल पाता। यह भारतीय राजनीति की एक बड़ी कमी है ,जिसकी तरफ मेरा ध्यान गया है और मैं उसे दूर करना चाहता हूं।
आप देखिए ! बहुत सी जगहों पर तो पार्टियां दलबदलुओं के आधार पर ही चल रही हैं। अगर दलबदलुओं को उनमें से हटा दिया जाए तो फिर पार्टी के नाम पर कुछ बचेगा ही नहीं । कुछ दल ऐसे भी होते हैं जिन्हें दलबदलुओं द्वारा ही खड़ा किया जाता है, दलबदलुओं द्वारा समृद्ध किया जाता है तथा दलबदलुओं के द्वारा ही पालित-पोषित किया जाता है ।
दलबदल करना नेताओं का एक विशेष गुण है । यह कुछ नेताओं में विशेष रुप से सक्रिय पाया जाता है । जो लोग इस गुण से वंचित होते हैं, वह जीवन में प्रगति नहीं कर पाते। ऐसी भी क्या नेतागिरी कि एक दल में पड़े-पड़े सारी जिंदगी गुजार दी ! अरे भाई ! पार्टियाँ की सैर करो, इधर-उधर घूमो, चार दलों का आनंद लो ,जिंदगी में आगे बढ़ो अर्थात दल बदलू बनो। पार्टी का दलबदलू प्रकोष्ठ तथा दलबदलू-प्रकोष्ठ का अध्यक्ष पद तुम्हारा इंतजार कर रहा है ।
========================
लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

529 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
गर भिन्नता स्वीकार ना हो
गर भिन्नता स्वीकार ना हो
AJAY AMITABH SUMAN
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
VEDANTA PATEL
"ले जाते"
Dr. Kishan tandon kranti
सफ़ेद चमड़ी और सफेद कुर्ते से
सफ़ेद चमड़ी और सफेद कुर्ते से
Harminder Kaur
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
The Misfit...
The Misfit...
R. H. SRIDEVI
आप जब खुद को
आप जब खुद को
Dr fauzia Naseem shad
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
माटी
माटी
AMRESH KUMAR VERMA
वाचाल सरपत
वाचाल सरपत
आनन्द मिश्र
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
VINOD CHAUHAN
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
देश के वासी हैं
देश के वासी हैं
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
सत्य कुमार प्रेमी
2388.पूर्णिका
2388.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
पूर्वार्थ
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
Dheerja Sharma
इस्लामिक देश को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी देश के विश्वविद्या
इस्लामिक देश को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी देश के विश्वविद्या
Rj Anand Prajapati
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
Shweta Soni
ज्ञान के दाता तुम्हीं , तुमसे बुद्धि - विवेक ।
ज्ञान के दाता तुम्हीं , तुमसे बुद्धि - विवेक ।
Neelam Sharma
हर मोड़ पर कोई न कोई मिलता रहा है मुझे,
हर मोड़ पर कोई न कोई मिलता रहा है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
Ashwini sharma
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
Phool gufran
I met Myself!
I met Myself!
कविता झा ‘गीत’
हौसला
हौसला
डॉ. शिव लहरी
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
🙅सनद रहै🙅
🙅सनद रहै🙅
*प्रणय प्रभात*
Loading...