दलदल में फंसी
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अब दिखते ही नहीं हैं
कहीं गली के जादूगर
सूचना तकनीकी ने कर
दिया है उन्हें बेअसर
हाथों को दिनभर व्यस्त
रखते अब मोबाइल फोन
उनके जाल में उलझे लोग
सोचे नहीं है पीड़ा में कौन
घर घर में बन गए हैं आज
अनगिनत से अजब द्वीप
बस खुद में मग्न हैं लोगबाग
सब बिन राज के बने महीप
व्यस्त सभी अति दिखते बिन
काज और उचित व्यापार
अगर कोई अचानक टोक दे
तो आक्रामक दिखे व्यवहार
मनोवैज्ञानिक माने सेलफोन
से बेपटरी हुए मानवीय संबंध
पर व्यापारियों के सरताज कर
रहे धनागम बढ़ाने के ही प्रबंध
ऐसे मोड़ पर खड़े हैं आज जग
के विविध देशों के कर्णधार
कदम जो पीछे खींचना भी चाहें
तो बनेगा कोई भी न मददगार
तकनीकी के दलदल में फंसी है
तीसरी दुनिया की बड़ी आबादी
नव तकनीकी के नाम पर होती
जा रही अर्थव्यवस्था की बर्बादी