थोपा गया कर्तव्य बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण और सेवा-भा
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थोपा गया कर्तव्य बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण और सेवा-भाव का सर्वथा अभाव होता है । ऐसा कर्तव्य संबंधों में दुराव उत्पन्न करता है और जीवन को बोझिल कर देता है ।
” प्रत्येक प्राणी को यह अधिकार होना चाहिए कि कर्तव्य पालन उसके हृदय की स्वेच्छा से दी गई स्वीकृति से हो ना कि उसका कर्तव्य उसे दूसरों से दंड स्वरूप प्राप्त हो ।।”
सीमा वर्मा
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