तेरे ख़त

तुम्हारे ख़त जैसे झोंका बहार का।
दिल को एक सकूं तेरे प्यार का।
बड़े बेजुबां निकले वो जुबां वाले
कर सके न दावा ,किये इकरार का।
ताउम्र जिसने जलाया था दिल मेरा
बुझने न दिया उसने दीया मजार का।
आज मिले हो, कल की क्या खबर
ऐतबार रख लेते,मेरे ऐतबार का।
सुरिंदर कौर