तेरी मुहब्बत से, अपना अन्तर्मन रच दूं।
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मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
लिख दूं,
क्या लिख दूं।
सोच रहा हूं,
शब्द-शब्द सब,
तुझ पर लूटा दूं।
क्यों इतना,
हसीन है तू,
दिल के नजदीक,
मन के करीब है तू।
आखिर क्या है,
तेरे रोम-रोम में,
जो तूझे चूमने को,
जी चाहता है।
मेंहदी क्या होगी,
हाथों में,
सोचता हूं,
तेरी मुहब्बत से,
अपना अन्तर्मन
रच दूं।